पंचकल्याणक अर्घ्य
।। भगवान श्री वासुपुज्य जी ।।

पंचकल्याणक अर्घ्य

गर्भकल्याणक अर्घ्य

ॐ ह्रीं आषाढकृष्णाषष्ठ्यां श्रीवासुपूज्यजिन गर्भकल्याणकाय अर्घ्य निर्वपामीतिस्वाहा।

जन्मकल्याणक अर्घ्य

ॐ ह्रीं फाल्गुनकृष्णाचतुर्दश्यां श्रीवासुपूज्यजिन जन्मकल्याणकाय अर्घ्य निर्वपामीतिस्वाहा।

दीक्षाकल्याणक अर्घ्य

ॐ ह्रीं फाल्गुनकृष्णाचतुर्दश्यां श्रीवासुपूज्यजिन दीक्षाकल्याणकाय अर्घ्य निर्वपामीतिस्वाहा।

केवलज्ञानकल्याणक अर्घ्य

ॐ ह्रीं माघशुक्लाद्वितीयायां श्रीवासुपूज्यजिन ज्ञानकल्याणकाय अर्घ्य निर्वपामीतिस्वाहा।

मोक्षकल्याणक अर्घ्य

ॐ ह्रीं भाद्रपदशुक्लाचतुर्दश्यां श्रीवासुपूज्यजिन मोक्षकल्याणकाय अर्घ्य निर्वपामीतिस्वाहा।

ॐ ह्रीं श्रीवासुपूज्यपंचकल्याणकाय पूर्णाऱ्या निर्वपामीतिस्वाहा।

शांतयेशांतिधारा, दिव्यपुष्पांजलिः।

जाप्य - ॐ ह्रीं श्रीवासुपूज्य जिनेन्द्राय नमः।

Bhagwan Shri Vasupujya Ji