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|| जिन-वचन ||
समाए पेहाए परिव्वयंतो सिया मणो निस्सरई बहिद्धा ।
न सा महं नो वि अहं पि तीसे इच्चेव ताओ विणएज्ज रागं ।।
While practising equanimity, if the mind loses confidence in self-control, imagine that - `the objects of material pleasures are not mine and I do not belong to them', and thus you will get detached from them.
समदृष्टिपूर्वक विचरते हुए भी यदि कदाचित् मन संयम से बाहर निकल जाये तो 'ये भोगपदार्थ मेरे नहीं हैं और में उन का नहीं हूँ' इस प्रकार सोचकर उनके प्रति होनेवाले राग को दूर करें ।
आउक्खयं चेव अबुज्झमाणे ममाइ से साहसकारि मंदे ।
अहो य राओ परितप्पमाणे अढेसु मूढे अजरामरेव्व ।।
A foolish and rash person who does not know that his life will ultimatly be over, always keeps on saying : This is mine. This is mine.' He tortures himself day and night for the sake of wealth, as if he would never have old age and death.
अपनी आयुष्य का क्षय हो रहा है यह न समझनेवाला मूर्ख और अविचारी साहस करनेवाला मनुष्य “यह मेरा है; यह मेरा है' – ऐसा बोलता रहता है । वह अर्थप्राप्ति के लिए दिनरात परिताप सहन करता है । वह भ्रम में रहता है कि उसके लिए कभी जरा और मृत्यु हैं ही नहीं ।
पणीयं भत्तपाणं तु खिप्पं मयविवड्ढणं ।
बंभचेररओ भिक्खू निच्चसो परिवज्जए ।
Rich food arouses passions quickly. Therefore, a monk who is keenly interested in practising the vow of celibacy should always avoid such rich food.
स्निग्ध भोजन कामवासना को शीघ्र बढ़ाता है । इस लिए ब्रह्मचर्य व्रत में रत रहने वाला मुनि स्निग्ध भोजन का सदा त्याग करे ।
जहा बिडालावसहस्स मूले न मूसगाणं वसही पसत्था ।
एमेव इत्थीनिलयस्स मज्झे न बंभयारिस्स खमो निवासो ॥
It is not advisable for mice to live near a dwelling place of a cat. Similarly, it is not desirable for a person practising celibacy to stay in a house inhabited by women.
जैसे बिल्ली के निवासस्थान के पास चूहों का रहना ठीक नहीं होता वैसे ही स्त्रियों की बस्ती के पास ब्रह्मचारी का रहना ठीक नहीं होता ।
खेत्त वत्थु हिरण्णं च पुत्तदारं च बंधवा ।
चइत्ता णं इमं देहं गन्तव्वमवसस्स मे ॥
A man should realise that some day he certainly has to leave this world, leaving behind his land and estate, house and property, gold and ornaments, wife and children, relatives and friends, and even his own body.
मनुष्य को यह समझना चाहीए कि एक दिन मुझे जमीन, घर, सोना, संतान, स्त्री, बांधव और इस शरीर को भी छोड़ कर अवश्य चले जाना है ।'
थावरं जंगमं चेव धणं धन्नं उवक्खरं ।
पच्चमाणस्स कम्मेहिं नालं दुक्खाउ मोअणे ।।
When a man is suffering as a result of his past Karmas, neither his movable and immovable property, nor his money, nor the food-grain and other materials have any capacity to free him from the misery.
स्थावर और जंगम संपत्ति, धन, धान्य, चीजवस्तु-ये सभी पदार्थ कर्मों के कारण दुःखी प्राणी को दुःखमुक्त करने में समर्थ नहीं होते ।
वालुयाकवले चेव निरस्साए उ संजमे ।
असिधारागमणं चेव दुक्करं चरिउं तवो ॥
To practise self-control is tasteless like a morsel of sand. To practise penance is as difficult as to walk on the edge of a sword.
संयमपालन बालू के कौर की तरह नीरस है । तप का आचरण करना तलवार की धार पर चलने जैसा दुष्कर है।
जहा भुयाहिं तरिउं दुक्करं रयणायरो ।
तहा अणुवसन्तेणं दुक्करं दमसागरो ।
Just as it is very difficult to cross the ocean swimming with arms, similarly, it is very difficult for one who is not pacified, to cross the ocean of selfcontrol.
जैसे समुद्र को भुजाओं से पार करना बहुत ही कठिन है, वैसे ही उपशमहीन व्यक्ति के लिए संयमरूप समुद्र को पार करना बहुत कठिन है ।
जो सहस्सं सहस्साणं मासे मासे गवं दए ।
तस्सावि संजमो सेओ अदितस्स वि किंचणं ॥
The self-control of a man who does not give anything in charity is far better than a man who may give one million cows in charity every month.
दान में कुछ भी न देनेवाले संयमी मनुष्य का संयम, प्रति मास दस लाख गायों का दान देनेवाले मनुष्य से श्रेष्ठ होता है ।
दाराणि च सुया चेव मित्ता य तह बंधवा ।
जीवन्तमणुजीवन्ति मयं नाणुवयंति य ॥
Wives, sons, friends and relatives follow a man till he is alive. None of them follow him after death.
पत्नियाँ, पुत्र, मित्र और बांधव, जब तक व्यक्ति जीवंत है तब तक ही साथ में रहते हैं । मृत्यु के बाद वे पीछे नहीं आते ।
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