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|| जिन-वचन ||
दुमपत्तए पंडुयए जहा निवडइ राइगणाण अच्चए ।
एवं मणुयाण जीवियं समयं गोयम मा पमायए ॥
A withered leaf of a tree falls down after some nights go by. Similarly the life of a man comes to an end. Therefore, O Gautama ! do not be careless even for a moment.
रात्रियाँ बीतने पर जैसे वृक्ष का पका हुआ पीला पत्ता गिर जाता है, उसी तरह मनुष्य का जीवन भी समाप्त हो जाता है । इस लिए हे गौतन ! समय भर के लिए भी प्रमाद मत कर।
कणकुंडगं जहित्ताणं विट्ठे भुंजइ सूयरे ।
एवं सीलं जहित्ताणं दुस्सीलं रमई मिए ।
A pig prefers to eat dirty things, leaving good food-grains aside. Similarly an ignorant person indulges in evil matters, leaving virtuous matters aside.
जैसे सूअर चावल की भूसी को छोड़कर विष्टा खाता है, वैसे ही अज्ञानी मनुष्य शील को छोड़ कर दुःशीलता में रमता है ।
सद्दे रुवे य गंधे य रसे फासे तहेव य ।
पंचविहे कामगुणे निच्चसो परिवज्जए ।
A monk should always abstain from the pleasure of the objects of the five senses i.e. sound, form, smell, taste and touch.
शब्द, रूप, गंध, रस और स्पर्श इन पाँच प्रकार की इन्द्रियों के कामभोग के विषयों का मुनि सदा त्याग करे ।
न तं अरी कंठछेत्ता करेइ जं से करे अप्पणिया दुरप्पा ।
से णाहिई मच्चुमुहं तु पत्ते पच्छाणुतावेण दयाविहूणे ॥
The harm that an evil person does to himself is much more than the harm that his enemy may do to him by cutting off his throat. Such a person, devoid of compassion, realises, his folly on his deathbed and repents for his evil deeds.
दुर्जन अपनी दुष्प्रवृत्ति से अपना जो अनिष्ट करता है वैसा अनिष्ट तो गला काटने वाला शत्रु भी नहीं करता । ऐसा दयाविहीन मनुष्य मृत्यु के मुख में पहुंचने के समय दुराचार को समझता है ओर पश्चात्ताप करता है ।
जहा सुणी पूइकण्णी णिक्कसिज्जइ सव्वसो ।
एवं दुस्सीलपडणीए मुहरी निक्कसिज्जई ॥
A bitch with rotten ears is driven away from everöwhere. Similarly a person of bad conduct, of an insubordinate attitude and of talkative nature is turned out from everywhere.
जैसे सड़े हुए कानोंवाली कुतिया सभी स्थानों से निकाली जाती है, वैसे ही दुःशील, प्रतिकूल वर्तन करनेवाला और वाचाल मनुष्य सभी स्थानों से निकाल दिया जाता है ।
पुरिसो ! रम पावकम्मणापलियंतं मणुयाण जीवियं ।
सन्ना इह काममुच्छिया मोहं जंति नरा असंवुडा ॥
O Man ! Refrain from sinful acts because human life goes by quickly. Those who are addicted to material pleasures or have no self-control are overpowered by delusion.
हे पुरुष ! पापकर्मों से निवृत्त हो जा ! यह मनुष्यजीवन शीघ्रता से भागा जा रहा है । कामभोगों में मूर्छित और असयंमी मनुष्य मोहग्रस्त होता है ।
संबुज्झह किं न बुज्झहसं बोही खलु पेच्च दुल्लहा ।
णो हूवणमंति राइओ नो सुलभं पुणरावि जीवियं ॥
O Men ! Awake ! Don't you understand that it is very difficult to obtain Right Knowledge after death, in the next birth ? Those nights which have gone by shall not return. It is very difficult to obtain the human birth again.
हे मनुष्य ! बोध प्राप्त करो ! क्यों बोध प्राप्त नहीं करते ? मृत्यु के बाद संबोधि, निश्चय ही दुर्लभ है । बीती हुई रातें वापस नहीं आतीं और मनुष्य भव फिर सुलभ नहीं होता ।
डहरा बुड्ढाय पासह गब्भत्था वि चयंति माणवा ।
सेणे जह वट्टयं हरे एवं आउखयंमि तुट्टइ ॥
Human beings, whether young or old, die. Even those in the mother's womb die. Just as a hawk snatches away quail, similarly death takes away life.
युवक हो या वृद्ध, सब के लिए मृत्यु आ पहुंचती है, यहां तक लि गर्भावस्था में बालक की भी मृत्यु होती है । जैसे बाज छोटे पक्षी को हर लेता है वैसे ही आयुष्य पूर्ण होने पर मृत्यु जीवन को हर लेती है।
जे य बुद्धा अतिक्कंता जे य बुद्धा अणागया ।
संति तेसिं पइट्ठाणं भूयाणं जगती जहा ।।
Just as the earth is the foundation of all living beings, in the same way peace is the foundation of all the Tirthankaras, including the past and the future Tirthankaraş.
जिस तरह सब जीवों का आधारस्थान पृथ्वी है, उसी तरह जो तीर्थंकर हो चुके हैं और जो तीर्थंकर होनेवाले हैं उन सबका आधारस्थान शान्ति है ।
जसं कित्ती सिलोगं च जा य वंदणपूयणा ।
सव्वलोयंसि जे कामा तं विज्जं परिजाणिया ।।
A wise man should know that fame, glory, praise, honour, homage and the material pleasures of the whole world are harmful to the self and therefore should renounce them.
यश, कीर्ति, श्लाघा, वंदन, पूजन और समस्त लोक में जो भी कामभोग हैं उन्हें, आत्मा के लिए अहितकर जानकर ज्ञानी पुरुष छोड़ दे ।
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