प्रश्न 24 - भगवान तीर्थंकर की माता सोलह स्वप्न क्यों देखती हैं?
उत्तर - भगवान पूर्व भव में सोलह कारण भावनाओं को भा कर चिंतवन कर, तीर्थंकर प्रकृति का बंध करते हैं।
प्रश्न 25 - सोलह स्वप्नों के नाम बताइये।
उत्तर - 1 ऐरावत हाथी, 2 श्वेत उत्तम बैल, 3 सिंह, 4 माला युगल, 5 लक्ष्मी, 6 चन्द्रमा, 7 सूर्य, 8 कलश युगल 9 मीन युगल, 10 सरोवर, 11 समुद्र 12 सिंहासन 13 देवों का विमान, 14 नागेन्द्र 15 रत्न राशि एवं 16 धूम रहित अग्नि।
प्रश्न 26 - तीर्थंकर की माता सोलह स्वप्न कब देखती है?
उत्तर - पिछली रात्रि के पिछले पहर में, जब तीर्थंकर माता के गर्भ में आते हैं तब।
प्रश्न 27 - स्वनों के फलों के उत्तर कौन देता है?
उत्तर - स्वप्नों के फलों के उत्तर भगवान के पिता देते हैं।
प्रश्न 28 - भगवान के गर्भ में आने के पूर्व में क्या होता है?
उत्तर - छः महीने पहले माता के आंगन में प्रतिदिन साड़े बारह करोड़ रत्नों की वर्षा होती है।
प्रश्न 29 - पहले स्वप्न में माता ने ऐरावत हाथी देखा राजा ने उसके क्या फल बताया।
उत्तर - हे देवी! आपको उत्तम पुत्र की प्राप्ति होगी।
प्रश्न 30 - दूसरे स्वप्न में उत्तम श्वेत बैल देखने का क्या फल है?
उत्तर - आपका पुत्र संसार में सबसे बड़ा होगा महान होगा।
प्रश्न 31 - तीसरे स्वप्न में सिंह देखने का क्या फल है?
उत्तर - अपका पुत्र अनंत बल से युक्त होगा।
प्रश्न 32 - चैथे स्वप्न में माला युगल देखने का क्या फल है?
उत्तर - आपका पुत्र समीचीन धर्म का उपदेशक होगा।
प्रश्न 33 - पांचवे स्वप्न में लक्ष्मी देखने का क्या फल है?
उत्तर - आपके पुत्र का जन्म के समय मेरू पर्वत पर द्रेवों के द्वारा श्रीर समुद्र के जल से 1008 कलशों से अभिषेक होगा।
प्रश्न 34 - छठे स्वप्न में चन्द्रमा देखने का राजा ने क्या फल बताया?
उत्तर - हे देवी! चन्द्रमा देखने से आपका पुत्र समस्त जगत को आनन्द देने वाला होगा।
प्रश्न 35 - सातवें स्वप्न में सूर्य देखने का क्या फल बताया।
उत्तर - आपका पुत्र दैदीप्यमान प्रभा का धारक होगा।
प्रश्न 36 - आठवें स्वप्न में कलश युगल देखने का क्या फल है?
उत्तर - आपका पुत्र अनेक निधियों का स्वामी होगा।
प्रश्न 37 - नौ वां स्वप्न मीन युगल देखने से क्या फल हैं?
उत्तर - मीन युगल से आपका पुत्र परम सुखी होगा।
प्रश्न 38 - दशवां स्वप्न, सरोवर देखने का राजा ने क्या फल बताया?
उत्तर - सरोवर देखने से आपके पुत्र के शरीर में 1008 लक्षण, व्यंजन शोभित होंगे।
प्रश्न 39 - ग्यारहवां स्वप्न समुद्र देखने का क्या फल है?
उत्तर - समुद्र देखने से वह पुत्र केवलज्ञान रूपी जलधि से युक्त होगा।
प्रश्न 40 - रानी के बारहवें स्वप्न में सिंहासन देखने का क्या फल है?
उत्तर - सिंहासन देखने से आपका पुत्र जगत गुरू एवं विपुल साम्राज्य का नायक होगा।
प्रश्न 41 - रानी के तेरहवें स्वप्न देवों का विमान देखने का क्या फल है?
उत्तर - देवों का विमान देखने से वह स्वर्ग से अवतीर्ण होगा।
प्रश्न 42 - रानी के चैदहवें स्वप्न नागेन्द्र भवन देखने का क्या फल है?
उत्तर - नागेन्द्र भवन देखने से आपका पुत्र जन्म से ही मतिश्रुत अवधिज्ञान का धारी होगा।
प्रश्न 43 - पन्द्रहवें स्वप्न रत्न राशि देखने का क्या फल है?
उत्तर - आपका पुत्र गुणों की खान होगा।
प्रश्न 44 - भगवान की माता के सोलहवें स्वप्न धूम रहित अग्नि देखने का क्या फल है?
उत्तर - आपका पुत्र मोक्ष को प्राप्त करने वाला होगा।
प्रश्न 45 - माता की सेवा करने वाली 6 देवियां कौन-कौन सी हैं?
उत्तर - श्री ह्मी धृति, कीर्ति, बुद्धि लक्ष्मी ये 6 देवियां भगवान के गर्भ जन्म कल्याणक में माता की सेवा करती हैं।
प्रश्न 46 - ये देवीयां कहा रहती हैं?
उत्तर - ये देवियां ढाई द्वीप में मेरू के उत्तर दक्षिण में स्थित पूर्व से पश्चिम तक फैले हुए षट् कुलाचालों, हिमवान, महा हिमवान, निषध, नील रूकमी और शिखरी पर्वतों पर प्रत्येक के मध्य में स्थित, सरोवरों पद्य महापद्म तिंगिच्छ केसरी महापुंडरीक पुंडरीक सरोवरों पर बने कमलों पर निवास करती हैं।
प्रश्न 47 - भगवान की माता की सेवा करने वाली दिक् कन्यायें कितनी हैं?
उत्तर - भगवान की माता की सेवा करने वाली दिक् कन्यायें चवालिस हैं।