प्रश्न 1 - नव देवता कौन-कौन से हैं?
उत्तर - 1 - अरिहंत , 2 - सिद्ध , 3 - आचार्य , 4 - उपाध्याय , 5 - साधु , 6 - जिनधर्म , 7 - जिन आगम , 8 - जिन चैत्य एवं जिन चैत्यालय
प्रश्न 2 - जिन धर्म किसे कहते हैं?
उत्तर - जिनेन्द्र भगवान की ध्वनि (वाणी) को जिन धर्म कहते हैं।
प्रश्न 3 - जिन आगम किसे कहते हैं?
उत्तर - भगवान की वाणी के अनुसार गणधर एवं आचार्यों के वचनों के अनुसार जिन शास्त्रों की रचना होती है। उन शास्त्रों को जिनआगम कहते हैं।
प्रश्न 4 - जिन आगम को कितने भागों में विभाजित किया गया है?
उत्तर - वैसे तो जिन आगम को ग्यारह अंगों तथा चैदह पूर्वों में विभाजित किया गया है। फिर भी चार अनुयोगों में भी जिनागम को कहा गया है।
प्रश्न 5 - जिन चैत्य किसे कहते हैं?
उत्तर - जिनेन्द्र भगवान की प्रतिमा को जिन चैत्य कहते हैं।
प्रश्न 6 - जिन चैत्यालय किसे कहते हैं?
उत्तर - जिन प्रतिमा जिस स्थान पर रहती है उस स्थान को चैत्यालय कहते हैं।
प्रश्न 7 - जिन चैत्यालय के कुछ अन्य नाम बताइये।
उत्तर - घर वाचक शब्दों के आगे जिन शब्द जोड़ देने से जिन सदन चैत्यालय के नाम बन जाते हैं जैसे - जिनगृह, जिन सदन, जिन चैत्यालय, जिन मंदिर, जिन भवन, जिन गेह, जिन आलय आदि।
प्रश्न 8 - जिन चैत्यालय कितने प्रकार के होते हैं?
उत्तर - अकृत्रिम शास्वत जिनालय, देवकृत जिलानय एवं मानव निर्मित जिनालय इस प्रकार जिन चैत्यालय तीन प्रकार के होते हैं?
प्रश्न 9 - अकृत्रिम जिनालय कहां-कहां हैं?
उत्तर - तीनों लोकों में अकृत्रिम जिनालय हैं।
प्रश्न 10 - तीनों लोकों में कितने अकृत्रिम जिनालय माने गये हैं?
उत्तर - तीनों लोकों में आठ करोड़ छप्पन लाख सतानवे हजार चार सौ इक्यासी अकृत्रिम जिन मंदिर हैं।
प्रश्न 11 - तीनों लोकों के अकृत्रिम जिनमन्दिरों में प्रतिमाओं की संख्या कितनी है?
उत्तर - तीनों लोकों में नौ सौ पच्चीस करोड़ त्रेपनलाख सत्ताइस हजार नौ सौ अड़तालिस जिन प्रतिमायें हैं।
प्रश्न 12 - प्रत्येक अकृत्रिम जिनालय में कितनी प्रतिमायें होती हैं?
उत्तर - प्रत्येक अकृत्रिम जिनालय में एक सौ आठ जिन प्रतिमायें होती हैं।
प्रश्न 13 - अकृत्रिम प्रतिमाओं का क्या प्रमाण है?
उत्तर - अकृत्रिम जिनालयों में पांच सौ धनुष ऊंची पद्मासन प्रतिमायें विराजमान रहती हैं।
प्रश्न 14 - पांच सौ धनुष में कितने हाथ होते हैं?
उत्तर - पांच सौ धनुष में दो हजार हाथ होते हैं।
प्रश्न 15 - अकृत्रिम जिनालयों में कौन-से भगवान की प्रतिमायें विराजमान रहती हैं?
उत्तर - अकृत्रिम जिनालयों में विराजमान प्रतिमाओं को सिद्ध संज्ञा क्यों है?
प्रश्न 16 - अकृत्रिम जिनालयों में विराजमान प्रतिमओं को सिद्ध संज्ञा क्यों है?
उत्तर - क्योंकि ये प्रतिमायें अनादि निधन शाश्वत सिद्ध हैं कभी किसी ने बनाई नहीं कभी नष्ट भी नहीं होगी। इसीलिए उन्हें सिद्ध संज्ञा है।
प्रश्न 17 - अकृत्रिम मंदिर किसे कहते हैं?
उत्तर - जो मन्दिर अनादि काल से बने हुए हैं अनंत काल तक रहेंगे कभी किसी ने उन्हें बनाया नहीं उन्हें अकृत्रिम जिनालय कहते हैं।
प्रश्न 18 - अधो लोक में अकृत्रिम जिन मंदिरों की संख्या सताइये।
उत्तर - अधो लोक में सात करोड़ बहत्तर लाख जिन मंदिर हैं जो भवनवासी देवों के हैं।
प्रश्न 19 - पाताल (अधोलोक) में जिन प्रतिमाओं की संख्या बताइये।
उत्तर - अधो लोक में आठा अरब तैंतीस करोड़ छियत्तर लाख जिन बिम्ब विराजमान हैं।
प्रश्न 20 - मध्यलोक में कितने अकृत्रिम जिनालय हैं?
उत्तर - मध्यलोक में चार सौ अट्ठावन अकृत्रिम जिनालय है।
प्रश्न 21 - मध्यलोक में ये जिनालय कहां तक फैले हुए हैं?
उत्तर - मध्यलोक में ये चार सौ अट्ठावन जिनालय तेरह द्वीपों तक फैले हुए हैं।
प्रश्न 22 - जम्बूद्वीप में कितने अकृत्रिम जिनालय हैं।
उत्तर - जम्बूद्वीप में अट्ठत्तर अकृत्रिम जिनालय हैं।
प्रश्न 23 - जम्बूद्वीप में अठत्तर जिनालय किस प्रकार हैं?
उत्तर - जम्बूद्वीप में अठत्तर जिनालययों की गणना निम्न प्रकार है- सुमेरू पर्वत के 16, गजदन्तों के 4, जम्बूशाल्मलि वृक्ष के 2, वक्षार पर्वतों के 16, विजयार्ध पर्वतों के 34, तथाा छः कुलाचलों के 6 इस प्रकार जम्बूद्वीप में कुल 78 जिनालय होते हैं।