सूर्यग्रह अरिष्ट निवारक श्री पद्मप्रभ पूजा -स्थापना-
दोहा -
ऊँ ह्मीं सूर्यग्रहारिष्टनिवारक श्री पद्मप्रभ जिनेन्द्र ! अत्र अवतर अवतर संवौषट् आह्वाननं।
ऊँ ह्मीं सूर्यग्रहारिष्टनिवारक श्री पद्मप्रभ जिनेन्द्र ! अत्र तिष्ठ तिष्ठ ठः ठः स्थापनं।
ऊँ ह्मीं सूर्यग्रहारिष्टनिवारक श्री पद्मप्रभ जिनेन्द्र ! अत्र अवतर मम सत्रिहितो भव भव वषट् सत्रिधीकरणं स्थापनं।
(अष्टक) नंदीश्वर पूजन की चा
ऊँ ह्मीं सूर्यग्रहारिष्टनिवारक श्री पद्मप्रभ जिनेन्द्र जन्मजरामृत्युविनाशनाय जलं निर्वपामीति स्वाहा।
ऊँ ह्मीं सूर्यग्रहारिष्टनिवारक श्री पद्मप्रभजिनेन्द्र संसारतापविनाशनाय चन्दनं निर्वपामीति स्वाहा।
ऊँ ह्मीं सूर्यग्रहारिष्टनिवारक श्री पद्मप्रभजिनेन्द्र अक्षयपदप्राप्तये अक्षतं निर्वपामीति स्वाहा।
ऊँ ह्मीं सूर्यग्रहारिष्टनिवारक श्री पद्मप्रभजिनेन्द्र कामबाणविनाशनाय पुष्पं निर्वपामीति स्वाहा।
ऊँ ह्मीं सूर्यग्रहारिष्टनिवारक श्री पद्मप्रभजिनेन्द्र क्षुधारोगविनाशनाय नैवेद्यं निर्वपामीति स्वाहा।
ऊँ ह्मीं सूर्यग्रहारिष्टनिवारक श्री पद्मप्रभजिनेन्द्र मोहांधकारविनाशनाय दीपं निर्वपामीति स्वाहा।
ऊँ ह्मीं सूर्यग्रहारिष्टनिवारक श्री पद्मप्रभजिनेन्द्र अष्टकर्मदहनाय धूपं निर्वपामीति स्वाहा।
ऊँ ह्मीं सूर्यग्रहारिष्टनिवारक श्री पद्मप्रभजिनेन्द्र मोक्षफलप्राप्तये फलं निर्वपामीति स्वाहा।
ऊँ ह्मीं सूर्यग्रहारिष्टनिवारक श्री पद्मप्रभजिनेन्द्र अनघ्र्यपदप्राप्तये अघ्र्यं निर्वपामीति स्वाहा।
-दोहा-