।। पंचकल्याणक प्रतिष्ठा ।।

जन्म कल्याणक

jain temple322

प्रातः 5.15 नित्यमह अभिषेक, शांतिधारा

प्रातः 6.29 बालक आदिकुमार का जन्म, जन्मोत्सव पर बधाईयाॅं, प्रवचन

प्रातः 11 सौधर्म इन्द्र द्वारा अयोध्यानगरी की तीन प्रदक्षिण, सौधर्म इन्द्र की आज्ञा से शचि का गर्भगृह में प्रवेश, मायामयी बालक को माता के पास सुलाकर शचि द्वारा बालक आदिकुमार को गर्भग्रह से लेकर आना, सौधर्म इन्द्र द्वारा सहस्त्र नेत्रों से तीर्थंकर बालक के दिव्य-दर्शन, ऐरावत हाथी पर बैठाकर बालक आदिकुमार को पाण्डुक शिला को प्रस्थान, पाण्डुक शिला पर 1008 कलशांे से जन्मभिषेक, श्रृंगार एवं तांडव नृत्य, पश्चात् आचार्य श्री की दिव्यदेशना

सायंकालः 7 मंगलमय आरती, शास्त्रसभा

रात्रि 8 बजे बालक आदिकुमार का पालना झुलाना

रात्रि 9 तीर्थंकर बालक आदिकुमार के साथ क्रीड़ा का मनोहारी दृश्य

तप कल्याणक

प्रातः 6 नित्यमह अभिषेक, शांतिधारा, पूजन, तपकल्याणक पूजन एवं शांतिहवन, तत्पश्चात् संघ द्वारा आशीवर्चन

मध्याहं 12 युवराज आदिकुमार का राज्यभिषेक 32000 मुकुटबद्ध राजाओं द्वारा भेंट समर्पण, राज्य संचालन, षट्कर्म उपदेश, दंड व्यवस्था, ब्राह्मी-सुन्दरी को विद्यादान, भरत-बाहुबली को राज्य सौंपना, लौकांतिक देवों द्वारा अनुशंसा एवं वैराग्य स्तुति, वैराग्यमय दृश्य, दीक्षा वन की ओर प्रस्थान, दीक्षाविधि, अंकन्यास, संस्कारारोपण पूजा आदि, तत्पश्चात् आचार्य श्री की दिव्यदेशना

सायंकाल 7 मंगलमय आरती, शास्त्रसभा

रात्रि 8 सांस्कृतिक कार्यक्रम

ज्ञान कल्याणक

प्रातः 6.30 नित्यमह अभिषेक, शांतिधारा, पूजन, तपकल्याणक पूजन शांतिहवन, तत्पश्चात् संघ द्वारा आशीवर्चन

प्रातः 7.30 मुनि आदिकुमार की आहारचर्या

मध्याहं 11.45 ज्ञानकल्याणक की अंतरंग क्रियाएॅं प्रारम्भ, श्री जी स्थापना, मंत्रारधन, अधिवासना, तिलकदान, मुखोद्घाटन, नेत्रोन्मोलन, प्राणप्रतिष्ठा, सूरिमंत्र केवलज्ञानोत्पति, भव्य समोशरण से दिव्यदेशना, तत्वचर्चा, तत्पश्चात् ज्ञानकल्याणक पूजन, जिन-बिम्ब स्थापना, आचार्य श्री की दिव्यदेशना

सायंकाल 7.00 मंगलमय आरती, शास्त्रसभा

रात्रि 8 बजे सम्मान समारोह, आभार प्रदर्शन, तत्पश्चात् सांस्कृतिक कार्यक्रम

मोक्ष कल्याणक

प्रातः 6.30 नित्यमह अभिषेक, शांतिधारा, जाप्य प्रारम्भ प्रवचन

प्रातः 7.02 प्रातः- नवप्रभात की नई किरण के साथ भगवान आदिनाथ की कैलाशपर्वत से निर्वाण प्राप्ति, सिद्ध गुणारोपण, भगवान के अवशेषों का विसर्जन, तत्पश्चात् संघ द्वारा आशीर्वचन अभिषेक, पूजन, मोक्षकल्याणक पूजन एवं विश्वशांति - महायज्ञ, जिन-बिम्ब स्थापना, कलशारोहण, ध्वजारोहण आदि

मध्याहं 12.15 श्री 2006 जिनेन्द्र भगवान विराजमान कर विशाल संघ के सान्निध्य में रथोत्सव

सायंकाल 7.00 आरती

पंचकल्याणक महोत्सव के प्रमुख पात्र

3
2
1