।। भक्ष अभक्ष्य ।।

;खाने एवं न खाने योग्य पदार्थद्ध

जो पदार्थ खाने योग्य न हों वे अभक्ष्य है। श्राक्कावार में अभक्ष्य पदार्थों को पांच भागों में विभक्त किया है।

1. त्रस विघातक: जिस पदार्थ को खाने से द्विन्द्रिय, त्रिन्द्रिय और पंचेन्द्रिय त्रस जीवों की हिंसा होती है। वे अभक्ष्य है। त्रस जीवों में मांस व खून होता है तदनुसार मांस, मधु, अंडा, बड पीपल, मूलर पाकर, अंजीर फल, पौन घन्टे बाद मक्खन, दही बडा आदि पदार्थ अभक्ष्य है।

2. बहूस्वावर घातक: जिस पदार्थ को खाने से अनंत स्थावर जीवों की हिंसा होती है जिन वनस्पतियों को सूर्य का प्रकाश नहीं छूता आलू, अरबी, अदरक, शकरकंद आदि की तरह पृथ्वी के नीचे फैलने वाली वनस्पति जैसे प्याज, लहसुन, गाजर, मूली आदि अनंत स्थावर जीवों का घर है अतः अभक्ष्य है।

3. मादक : जिन पदार्थों के खाने या पीने से कर्म विकार या आलस्य बढता है वे प्रमाद कारक अभक्ष्य है जैसे-शराब, अफीम गांजा, तंबाकू, चरस, बीडी सिगरेट आदि।

4. अनिष्ट : जो पदार्थ भक्ष्य होने पर भी शरीर मे रोगादि उत्पन्न करें, उनसे बचें।

5. अनुपसेव्य : जो पदार्थ शिष्ट मनुष्यों के सेवन योग्य न हों जैसे गोमूत्र आदि।

बाजार की वस्तुएं मर्यादा रहित होने के कारण एवं अनछने जल से बनी होने के कारण अभक्ष्य है। अर्क, शर्बत, चमडे में रखी वस्तुऐं अभक्ष्य है। इसके अलावा 22 तरह के अभक्ष्य पदार्थों का वर्णन भी मिलता है-ओला, दही बडा, रात्रि भोजन, बहुबीजा, बैंगन, आचार, बड, पीपल, ऊमर, कटूमर पाकर जिसे हम नहीं जानते, कंद मूल, मिट्टी, विष, अभिष, शहद, मक्खन, मदिरा, छोटे फल, बर्फ, जिसका स्वाद बिगड गया हो।

अपने शरीर की रक्षा तथा वन्य जीवों की रक्षा के लिये आहार में संयम व विवके अपनाना चाहिये।

सेवनीय भक्ष्य पदार्थों की मर्यादा