प्रश्न 114 - मृषानदंी रौद्र ध्यान किसे कहते हैं?
उत्तर - झूठ बोलने में आनंद मानना मृषानंदी रौद्रध्यान है।
प्रश्न 115 - चैर्यानंदी रौद्रध्यान का लक्षण बताइये।
उत्तर - चोरी में आनंद मानना चैर्यानंदी रौद्र ध्यान है।
प्रश्न 116 - परिग्रहानंदी रौद्र ध्यान का लक्षण बताइये।
उत्तर - परिग्रह के अतिसंग्रह मंे आनंद मानना परिग्राहानदंी आर्तध्यान है।
प्रश्न 117 - धर्मध्यान कितने प्रकार का होता है?
उत्तर - धर्मध्यान चार भेद वाला होता है।
प्रश्न 118 - धर्म ध्यान के चार भेदों के नाम बताइये।
उत्तर - 1 - आज्ञाविचय 2 - अपायविचय 3 - विपाकविचय 4 - संस्थान विचय।
प्रश्न 119 - आज्ञाविचय धर्मध्यान का लक्षण बताइये।
उत्तर - युक्ति और उदाहरण की गति न होने पर आगम की प्रमाणता से वस्तु के श्रद्धान का विचार करना आज्ञाविचय नामक धर्मध्यान है।
प्रश्न 120 - उपायविचय धर्मध्यान क्या है?
उत्तर - संसार में भटकते हुए जीव कैसे मोक्षमार्ग में लगे या कैसे भी करके मैं इन्हें मोक्ष मार्ग में लगा दूं ऐसा चिंतवन करना अपायविचय नाम का धर्मध्यान कहलाता है।
प्रश्न 121 - विपाक विचय नामक धर्म ध्यान का लक्षण बतलाइये।
उत्तर - कर्मों के उदय से ही सुख दुख होता है इत्यादि चिंतवन करना विपाक विचय नाम का धर्म ध्यान है।
प्रश्न 122 - संस्थानविचय धर्म ध्यान क्या है?
उत्तर - लोक के आकार का विचार करना या पिंडस्थ, पदस्थ, रूपस्थ रूपातीत ध्यानों का अभ्यास करना संस्थान विचय धर्मध्यान है।
प्रश्न 123 - पदस्थ ध्यान किसे कहते हैं?
उत्तर - पदस्थ ध्यान में मंत्रों के बीजाक्षरों का ध्यान किया जाता है।
प्रश्न 124 - आचार्यों ने ध्यान योग्य कौन-कौन से प्रकार के मंत्र बताये हैं।
उत्तर - परमेष्ठी के वाचक पैंतीस, सोलह, छह, पांच, चार, दो और एक अक्षर वाले मंत्रों का तथा गुरू के उपदेश से अन्य भी मंत्रों के ध्यान का अभ्यास करना चाहिए।
प्रश्न 125 - सोलह अक्षर का कौन सा मंत्र है?
उत्तर - अरिहंत सिद्ध आइरिय उव´्झाय साहू। ये सोलह अच्छर का मंत्र है।
प्रश्न 126 - छह अक्षर वाले मंत्र का उल्लेख कीजिए।
उत्तर - ऊँ नमः सिद्धेभ्यः ये छह अच्छरों वाला मंत्र हैं
प्रश्न 127 - पांच अच्छर वाला मंत्र कौन सा है।
उत्तर - असिया उसा ये पांच अक्षरों वाला मंत्र है।
प्रश्न 128 - चार, दो एवं एक अक्षर वाले मंत्र बताइये।
उत्तर - अरिहंत में चार सिद्ध में दो तथा ऊँ के एक अक्षर है।
प्रश्न 129 - पिंडस्थ ध्यान किसे कहते हैं?
उत्तर - पिंडस्थ ध्यान में पांच धारणा, पृथ्वी, आग्नेय, श्वसना वारूणी एवंत त्वरूपवती होती हैं।
प्रश्न 130 - रूपस्थ ध्यान में किसका ध्यान किया जाता है?
उत्तर - रूपस्थ ध्यान में समवसरण में स्थित अर्हंत परमात्मा का ध्यान किया जाता है।
प्रश्न 131 - रूपातीत ध्यान में किसका ध्यान किया जाता है?
उत्तर - रूपातीत ध्यान में सिद्ध परमात्मा ध्यान किया जाता है तथा अपनी आत्मा का ध्यान शक्ति रूप में किया जाता है।
प्रश्न 132 - शुक्ल ध्यान किसे कहते हैं?
उत्तर - जो निष्क्रिय है इन्द्रियातीत है ध्यान ध्याता के भेद से रहित सम्पूर्ण विकल्पों से रहित है अपने चित्त में अपने स्वरूप के संमुख है ऐसा ये ध्यान शुक्ल ध्यान कहलाता है।
प्रश्न 133 - शुक्लध्यान के कितने भेद है?
उत्तर - शुक्ल ध्यान के चार भेद हैं।
प्रश्न 134 - शुक्ल ध्यान के चार भेदों के नाम बताइये।
उत्तर - 1 - पृथकत्ववितर्क 2 - एकत्व वितर्क 3 - सूक्ष्माक्रिया प्रतिपाति एवं 4 - व्युत्परत क्रिया निृवत्ति।
प्रश्न 135- पृथक्तव वितर्क नामक शुक्ल ध्यान किसे कहते हैं?
उत्तर - जिसमें पृथक-पृथक रूप से श्रुत बदलता रहता है अर्थात् अर्थ व्यंजन और योगों का संक्रमण होता रहता है वह प्रथम प्रथकत्व विर्तक नाम का शुक्लध्यान है।