।। श्री अरिहंत परमेष्ठी ।।

प्रश्न 46 - राग किसे कहते हैं?

jain temple84

उत्तर - किसी पदार्थ, जीव, या व्यक्ति से लगाव राग कहलाता है।

प्रश्न 47 - द्वेष किसे कहते हैं?

उत्तर - जो पदार्थ अपने को अच्छा नहीं लगता उसके प्रतिकार रूप को हटाने स्वरूप जो भाव हैं उसे द्वेष कहते हैं।

प्रश्न 48 - मरण किसे कहते हैं?

उत्तर - संसारी जीवों के शरीर छूटने को मरण कहते हैं।

प्रश्न 49 - अरिहंत भगवान को जीवन मुक्त क्यों कहते हैं?

उत्तर - क्योंकि वे अभी जन्म से ही छूटे हैं आगे उनका जन्म नहीं होगा लेकिन जो शरीर उन्होंने धारण किया है वह तो छूटेगा ही।

प्रश्न 50 - यदि अरिहंत भगवान का शरीर छूटता है तो क्या उनका मरण भी होता है?

उत्तर - अरिहंत भगवान के शरीर छूटने को मरण संज्ञा नहीं है उसका नाम निर्वाण एवं मोक्ष है।

प्रश्न 51 - अरिहंत भगवान के 34 अतिश्य किस प्रकार हैं?

उत्तर - जन्म समय के 10 अतिश्य, केवलज्ञान के 10 अतिशय एवं देव कृत 14 अतिश्य से मिलकर 34 हो जाते हैं

प्रश्न 52 - अतिश्य किसे कहते हैं?

उत्तर - सर्वसाधरण, प्राणियों में नहीं पाई जाने वाली अद्भुत या अनोखी बात को अतिश्य कहते हैं।

प्रश्न 53 - जन्म के 10 अतिश्य कौन-कौन से है?

उत्तर - 1 - अतिश्य सुन्दर शरीर
2 - अत्यंत सुगन्धित शरीर
3 - पसीना रहित शरीर,
4 - मलमूत्र रहित शरीर
5 - हित मित प्रिय वचन,
6 - अतुल बल,
7 - सफेद रक्त
8 - शरीर में 1008 लक्षण
9 - समचतुस्त्र संस्थान एवं
10 - वज्र वृषभ नाराच सहनन।

प्रश्न 54 - अठारह दोष जो अरिहंत भगवान में नहीं हैं उनहें दोहे में बताइये।

उत्तर - जनम जरा तिरखा क्षुधा, विस्मय आरत खेद।

रोग शोक मद मोह भय, निद्रा चिंता स्वेद।।
राग द्वेष अरू मरण जुत, ये अष्टादश दोष,
नाहि होत अरिहंत के, सो छवि लायक मोष।।

प्रश्न 55 - अतिश्य सुन्दर शरीर का लक्षण बताइये।

उत्तर - भगवान के शरीर की रचना पृथ्वी मंडल पर पाये जाने वाले सुन्दर एवं शांति के परमाणु से हुई है। इसीलिए उनके समान सुन्दर शरीर देव, मानव आदि किसी का नहीं होता। यथा-

यै शांत राग रूचिभिः परमाणु भिस्व्तं,
निर्मापितत्रि भुवनैक ललाम भूतः।
तावंत एैव खलु तेप्यणऽव पृथ्व्यां,
यत्ते समान मपरं नाहि रूपमस्ति।।

प्रश्न 56 - अत्यंत सुगन्धित शरीर से क्या अभिप्राय है?

उत्तर - भगवान के शरीर में कहीं नहीं पाई जाने वाली भीनी-भीनी सुगन्ध आती है।

jain temple85

प्रश्न 57 - पसीना रहित से क्या अभिप्राय है?

उत्तर - भगवान के शरीर में संसारी प्राणियों के समान पसीना नहीं आता है।

प्रश्न 58 - क्या भगवान का शरीर मलमूत्र रहित होता है?

उत्तर - भगवान के शरीर में मलमूत्र नहीं होता है।

प्रश्न 59 - भगवान के शरीर में मलमूत्र क्यों नहीं होता है?

उत्तर - क्योंकि भगवान जन्म से ही संसारी प्राणियों की भांति दाल रोटी आदि का भोजन नहीं करते हैं।

प्रश्न 60 - यदि भगवान हमारी आपके तरह भोजन नहीं करते हैं तो वे क्या खाते हैं?

उत्तर - उनके लिए भोजन वस्त्रादि की सामग्री स्वर्ग से आती है।

प्रश्न 61 - हित मित प्रिय वचन से क्या अभिप्राय है?

उत्तर - भगवान जब भी कुछ बोलते हैं तो सबके लिए हितकारी मितकारी एवं प्रिय वचन बोलते हैं उनके वचनों से किसी को भी किसी प्रकार का कष्ट नहीं होता है।

प्रश्न 62 - अतुल बल से क्या अभिप्राय है?

उत्तर - भगवान के शरीर में इतना बल होता है कि जितना है कि जितना बल देव, दानवों, मानवों में होता है उनके बल से भी अनंत गुना बल भगवान के शरीर में होता है।

प्रश्न 63 - सफेद रक्त से क्या आशय है?

उत्तर - जिस प्रकार हमारे शरीर में लाल रक्त होता है। उसी प्रकार भगवान के शरीर में सफेद रक्त होता है।

6
5
4
3
2
1