।। धर्म ।।

प्रश्न 67 - खााद्य में कौन-कौन सी वस्तुयें आती हैं?

उत्तर - जिसे सामान्यतया दांतों से चबाकर खाया जाता है वह खाद्य कहलाता है। जैसे-रोटी, परांठा, पूड़ी, कचैड़ी आदि।

प्रश्न 68 - स्वाद्य में कौन-कौन सी वस्तुयें आती हैं?

उत्तर - जो वस्तुयें स्वादिष्ट होती हैं वे स्वाद्य कहलाती हैं जैसे-चटनी, पापड, गुलाब जामुन, बरफी पेड़ आदि।

प्रश्न 69 - लेह्य में कौन-सी वस्तुयें आती हैं तथा लेह्य क्या है?

उत्तर - खाने वाले जो पदार्थ लेही की तरह गाड़े होत हैं वे लेह्य कहलाते हैं जैसे-रबड़ी, हलुआ, खिचड़ी खीर आदि।

प्रश्न 70 - पेय क्या हैं तथा इनमें कौन-कौन सी वस्तुयें आती हैं?

उत्तर - जो पदार्थ पीने के काम में आता हैं वे पेय कहलाती हैं जैसे-दूध, चाय, काफी, मट्ठा, लस्सी, उकाली आदि।

प्रश्न 71 - रात्रि भोजन त्याग किसने किया था? उसे क्या फल प्राप्त हुआ?

उत्तर - सागरसेन मुनिराज से एक सियार ने रात्रि भोजन त्याग का नियम लिया था। नियम का पालन करते हुए वह मरा। मर कर प्रीतिंकर कुमार हो गया। दीक्षा लेकर मुनि बन गया तथा समस्त कर्मों से छूट गया तथा मुक्त हो गया।

प्रश्न 72 - रात्रि भोजन का निषेध कहां-कहां किया गया है?

उत्तर - रात्रि भोजन का निषेध आयुर्वेद के शास्त्रों में तथा वैदिक ग्रंथों में भी किया गया है।

प्रश्न 73 - रात्रि भोजन न करने से क्या लाभ है?

उत्तर - 1 - रात्रि भोजन न करने से जीवों का घात नहीं होता है।
2 - स्वास्थ्य ठीक रहता है, बीमारियां दूर रहती हैं।
3 - स्वास्थ्य ठीक रहने से मन भी ठीक रहता हैं। कहा भी है-

जैसा खावे अन्न, वैसा होवे मन।
जैसा पीवे पानी, वैसी होवे वानी।।

प्रश्न 74 - रात्रि भोजन से क्या हानि है?

उत्तर - रात्रि भोजन में मिले हुए अनेक जीव दिखाई नहीं देते हैं उनमें से कितने ही जीव विषैले होते हैं, जिनके पेट में चले जाने से अनेक रोग हो जाते हैं, जैसे-

1 - भोजन के साथ यदि मक्खी पेट में चली जाये तो उल्टी हो जाती है।
2 - यदि छोटी छिपकली या कंसारी चली जाय तो कोढ़ रोग हो जाता है।
3 - यदि चीटीं चली जाय तो बुद्धि बिगड़ जाती है।
4 - यदि पत्थर का टुकड़ा मुंह में चला जाय तो दांत टूटने की संभावना रहती है।
5 - यदि पेट में जूं चली जाय तो जलोदर हो जाता है।
6 - यदि बाल खाने में आ जाय तो स्वर भंग हो जाता है।
7 - कांटा खाने में आ जाय तेा कंठ पीड़ा हो जाती है।
8 - बिच्छू खाने में आ जाये तेा तालु भंग हो जाता है।

प्रश्न 75 - धार्मिक दृष्टिकोण से रात्रि भोजन त्याग का क्या फल है?

उत्तर - जो बुद्धिमान रात्रि में सब प्रकार के आहार का त्याग कर देते हैं उन्हें 1 महीने में 15 दिन का तथा 1 वर्ष में 6 महीने के उपवास का फल मिलता है।

प्रश्न 76 - रात्रि भोजन करने वालों को आगम में क्या कहा गया है?

उत्तर - आगम में रात्रि भोजन करने वालों को बिना सींग और पूंछू के पशु कहा गया है।

प्रश्न 77 - दिन में भोजन किस समय करना चाहिए?

उत्तर - दिन में प्रातः की दो घडत्री बाद तथा सूर्यास्त से दो घड़ी पहले ही भोजन करना चाहिए।

प्रश्न 78 - रात्रि भोजन करने वालों को कौन-सी पर्यायें प्राप्त होती हैं?

उत्तर - रात्रि भोजन करने वालों को उल्लू, कौआ, बिल्ली, गीध, भेडि़या, सूअर, सर्प, बिच्छु और गोह आदि नीच पर्यायें प्राप्त होती हैं।

प्रश्न 79 - जीव दया का क्या महत्व है?

उत्तर - अहिंसा का दूसरा नाम दया है और धर्म का मूल दया है, दया के बिना धर्म का पालन नहीं हो सकता जहां-जहां दया है वहां-वहां धर्म है इसीलिए कहा है-

अहिंसा परमो धर्मः । यतो धर्मः ततो जय।

प्रश्न 80 - दया के कितने प्रकार होते हैं?

उत्तर - दया निम्न प्रकार की है।

1. स्वदया 2. पदया 3. निश्चय दया 4. व्यवहार दया 5. दव्य दया 6. भाव दया।

प्रश्न 81 - धर्म का उत्तम रूप से पालन कौन करता है?

उत्तर - धर्म का उत्तम रूप से पालन मुनि करते हैं।

प्रश्न 82 - धर्म का जघन्य रूप से पालन कौन करता हैं?

उत्तर - देशव्रती श्रावक।

प्रश्न 83 - धर्म का जघन्य रूप से पालन कौन करता हैं?

उत्तर - अव्रती सम्यकदृष्टि श्रावकादि।

प्रश्न 84 - श्रावक की कितनी आवश्यक क्रियायें होती हैं?

उत्तर - श्रावक की छह आवश्यक क्रियायें होती हैं।

प्रश्न 85 - श्रावक की आवश्यक क्रियाायें कौन-कौन सी हैं?

उत्तर - 1. देव पूजा, 2. गुरूपास्ति 3. स्वाध्याय 4. संयम 5. तप 6. दान।

प्रश्न 86 - श्रावक के श्रद्धा गुण को क्या कहते हैं?

उत्तर - श्रावक के श्रद्धा गुण को सम्यग्दर्शन कहते हैं।

प्रश्न 87 - श्रावक के विवेक गुण को क्या कहते हैं?

उत्तर - श्रावक के विवेक गुण को सम्यग्ज्ञान कहते हैं।

प्रश्न 88 - श्रावक के क्रिया गुण को क्या कहते हैं?

उत्तर - श्रावक के क्रिया गुण को सम्यग्चारित्र कहते हैं।

प्रश्न 87 - श्रावक यज्ञोपवीत धारण क्यों करते हैं?

उत्तर - सम्यग्दर्शन ज्ञान चारित्र के प्रतीक के रूप में यज्ञोपवीत धारण किया जाता है।

प्रश्न 89 - यज्ञोपवीत संस्कार कब किया जाता है?

उत्तर - आठ वर्ष की आयु में

प्रश्न 90 - आठ वर्ष की आयु में ही जनेऊ धारण क्यों कराया जाता है।

उत्तर - आगम के अुनसार आठ वर्ष के बालक को केवलज्ञान प्राप्ति की योग्यता मानी है इसलिये आठा वर्ष की आयु में ही यज्ञोपवीत धारण कराया जाता है तथा आठा वर्ष के बालक को ही भगवान का अभिषेक तथा मुनि को आहार देने की योग्यता होती है।

प्रश्न 91 - सम्यग्दर्शन ज्ञान चारित्र की प्राप्ति कहा-कहां से होती है?

उत्तर - सम्यग्दर्शन ज्ञान चारित्र की प्राप्ति देव शास्त्र गुरूओं से होती है। कहा भी है-

देव शास्त्र गुरू रतन शुभ, तीन रतन करतार।
भिन्न मिन्न कहूं आरती, अल्प सुगुण विस्तार।।

अर्थात सच्चे देव सेे सम्यग्दर्शन की, सच्चे शास्त्र से सम्यग्ज्ञान की तथा सच्चे गुरूओं के सानिध्य से सम्यग्चारित्र की प्राप्ति होती है।

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