‘‘तिलक, भारतीय संस्कृति की सभ्यता की निशानी है’’ तिलक देखकर ही व्यक्ति बिना पूछे ही उसे आस्तिक—धार्मिक समझता है। व्यवहार जगत में भी तिलक मंगलता का प्रतीक माना गया है। रक्षाबन्धन, दीपावली आदि पर्वों पर एवं मेहमान होने पर, परदेश या युद्धभूमि मे जाने से पूर्व तिलक का महत्त्व है। तिलक मस्तक पर लगाया जाता है। यह इस बात का प्रतीक है कि आपत्ति—विपत्ति में ठण्डे दिमाग से काम लें। व्यक्ति के मस्तक के ठीक बीचों—बीच कुछ ऐसी नसें, आज्ञा चक्र में होती है जिन्हें दबाने से शरीर में, मन में कुछ परिवर्तन अवश्य होता है। अत: मुख्यत: तिलक मस्तक पर लगाते हैं। पूजा विधि में नव स्थानों पर तिलक लगाया जाता है। तिलक बनाने में मुख्यत: चन्दन— केशर के साथ कपूर घिसकर प्रयोग किया जाता है। तिलक मस्तक पर लगते ही मस्तक का उपयोग बदलने लगता है, ध्यान एकाग्र होने लगता है। नारी को चन्दन—केशर की बिन्दी रूप तिलक एवं मनुष्य को मेरु के समान लम्बा तिलक लगाना चाहिए।
तंत्र विज्ञान के अनुसार तिलक लगे व्यक्ति से राजा—मंत्री , जज आदि पढ़े—लखे उच्चस्तर के लोग प्रभावित होते हैं एवं उनवे सोचे अनुसार कार्य भी कर देते हैं। अत: तिलक भी प्रतिदिन लगाना चाहिए।
आज के व्यक्ति तिलक लगाने में शर्म करते हैं या जिसने तिलक लगा रखा है, उसकी मखौल —मजाक उड़ाते हैं कि लो ! ये आ गये तिलकधारी ! पंण्डित! पुजारी !! जनेऊधारी आदि—आदि। अत: आप स्वयं सोचें कि ऐसे लोगों के जीवन में जब धार्मिक चिन्हों की उपेक्षा—अवहेलना होती है, तब क्या वे स्वयं इस पवित्र धर्म की आराधना कर पायेंगे ? कोई तिलक लगाकर, जनेऊ पहनकर गलत काम करे तो गलती तिलक, जनेऊ की तो नहीं हो जायेगी? कोई दीपक लेकर वुँये में गिरे तो गलती किसकी ? अत: तिलक लगाने में यदि स्वयं को शर्म लगे तो तिलक लगाने वाले का मखौल नहीं उड़ाना चाहिए। किन्तु स्वयं भी तिलक लगाकर धार्मिकता से गौरान्वित होना चाहिए।
कुछ लोग तिलक की, जनेऊ की इसलिए उपेक्षा करते हैं कि तिलक लगाकर, जनेऊ पहनकर धार्मिकता को दिखाने से क्या लाभ ? धर्म दिखावे का नहीं, अन्तरंग (मन) साफ होना चाहिए। हम आपसे पूछना चाहते हैं कि जब आपको धार्मिक चिन्हों को ही धारण करने में ग्लानि है, तब आपका मन साफ कैसे हुआ ? जिसे खाकी वर्दी पुलिस की, गहरे हरे रंग की वर्दी मिलिट्री की, काले रंग का कोट वकील का पहनने में शर्म—संकोच होगा, क्या वह राष्ट्र — देश — प्रान्त के कानून की रक्षा कर सकेगा ? आप स्वयं सोचें— विचारें ?