प्रश्न 45 - कितने कर्मों को नष्ट करने पर सिद्ध बनने की योग्यता होती है?
उत्तर - चार घातियां कर्मों को नष्ट करने पर सिद्ध बनने की योग्यता हो जाती है। चार घातिया कर्मों के नष्ट हो जाने पर केवल ज्ञान हो जाता है। केवल ज्ञान होने पर भाव मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है। ये केवलज्ञानी ही समस्त कर्मों से दूटकर मुक्त हो जाते हैं।
प्रश्न 46 - कर्मों की कितनी प्रकृतियां नष्ट होने पर मुक्त होने की योग्यता होती है?
उत्तर - कर्मों की 63 (तरेसठ) प्रकृतियां नष्ट होने पर मुक्त पद प्राप्त करने की योग्यता होती है।
प्रश्न 47 - जीवन मुक्त जीव को कितने कर्म तथा कर्मों की कितनी प्रकृर्तियां नष्ट होती हैं?
उत्तर - जीवन मुक्त जीव अर्थात अरिहंत भगवान के चार घातिया कर्म तथा त्रेसठ प्रकृतियां नष्ट होती हैं।
प्रश्न 48 - जीवों के सिद्ध बनने में क्या अंतर है?
उत्तर - कोई जीव तीर्थंकर बनकर सिद्ध होते हैं तथा कोई जीव बिना तीर्थंकर बने केवली, मूक केवली बनकर सिद्ध बन जाते हैं।
प्रश्न 49 - तीर्थंकर तथा केवली में क्या अंतर है?
उत्तर - सभी केवली तीर्थकर नहीं होते, सभी तीर्थंकर केवली होते हैं। तीर्थंकरों का समवसरण बनता है, केवलियों की गंध कुटी, तीर्थंकरों के कल्याणक देव मानते हैं। केवललियों के पंच कल्याणकादि तीर्थंकरों की भांति नहीं होते हैं। सामान्य केवली के जन्म समय अतिश्य नहीं होते हैं।
प्रश्न 50 - तीर्थंकर तथा सामान्य केवली को उदाहरण द्वारा बताइये।
उत्तर - भगवान बाहुबली, भरत, राम, हनुमान आदि केवली तो थे किन्तु तीर्थंकर नहीं थे।
प्रश्न 51 - केवली तथा मुक्त केवली में क्या अंतर है?
उत्तर - सभी केवलियों की दिव्य ध्वनि खिरती है जबकि मूक केवलियों की दिव्य ध्वनि नहीं खिरती है।
प्रश्न 52 - केवली को सिद्ध बनने के लिए कितना समय लगता है?
उत्तर - पंचलक्षर उच्चारण के बाराबर समय लगता है।
प्रश्न 53 - वे पंचलब्धक्षर कौन - से हैं?
उत्तर - अ इ उ ऋ लृ
प्रश्न 54 - कर्मनष्ट करके सिद्ध कहां जाते हैं?
उत्तर - लोक अग्र भाग पर।
प्रश्न 55 - जीव सिद्ध होकर अग्र भाग से ऊपर क्यों नहीं जाते?
उत्तर - जीव व पुद्गलों की गति धर्मास्तिकाय के कारण से होती है लोक के अग्रभाग से ऊपर धर्मास्तिकाय द्रव्य नहीं है।
प्रश्न 56 - मुक्त जीव मध्य लोक के ढाई द्वीप से ऊपर ही क्यों जाते हैं नीचे क्यों नहीं?
उत्तर - मुक्त जीव का स्वभाव ऊपर जाने का ही है इसीलिए।
प्रश्न 57 - मुक्त जीव के उध्र्व गमन के लिए आचार्यों ने क्या उदाहरण लिया है?
उत्तर - ऐरण्ड बीज का, अग्नि शिखा का कुम्हार के चक्र का।
प्रश्न 58 - समुदघात् सिद्ध किन्हें कहते है?
उत्तर - जो मुनि मुक्ति जाने से पूर्व केवली समुदघात् करते हैं, उन्हें समुघात् सिद्ध कहते हैं।
प्रश्न 59 - केवली समुदघात् सिद्ध किन्हें कहते है?
उत्तर - जिन केवलियों की आत्मा में कर्मों की सत्ता अधिक है आयु कर्म कम तो दोनों को बराबर करने के लिए जो समुदघात् किया जाता है उसे केवली समुदघात् कहते हैं।
प्रश्न 60 - समुदघात् क्या है?
उत्तर - आत्मा के प्रदेशों का मूल शरीर को छोड़े बिना बाहर निकलना समुदघात् कहलात है।
प्रश्न 61 - तीर्थंकर के निर्वाण क्षेत्रों को छोड़ अन्य पांच सिर क्षेत्रों के नाम बताओं।
उत्तर - सोनागिर, बड़बानी, मांगीतुंगी, मथुरा, द्रोणगिरि।
प्रश्न 62 - सिद्ध क्षेत्र किसे कहते हैं?
उत्तर - जिस स्थान से जीव मोक्ष जाते हैं, सिद्ध होते हैं उस स्थाान को सिद्ध क्षेत्र कहते हैं।
प्रश्न 63 - सम्मेदशिखर को छोड़कर प्रचलित अन्य सिद्ध क्षेत्रों के नाम बताइये।
उत्तर - (1) कैलाश पर्वत, (2) गिरानार जी (3) पावापुरी (4) गजपंथजी, (5) तारवर नगर (6) पावागिरि (7) शत्रुंजय (8) मांगीतुंगी (9) सोनागिरजी (10) रेवानदी तट (11) सिद्धवर कूट (12) बड़ानी नगर (13) पावागिरि नगर (14) द्रोणागिरि (15) मुक्ता गिरि (मेढ़गिरि), (16) कुंथुलगिरि (17) कलिंगदेश (कोटिशिला), (18) रेशंदीगिरि (19) जम्बूवन (चैरासी मथुरा)
प्रश्न 64 - कैलाश पर्वत से कौन-कौन से मोक्ष हैं?
उत्तर - कैलाश पर्वत से, भगवान आदिनाथ, भरत बाहुबली आदि 10 हजार मुनि मोक्ष गये हैं।
प्रश्न 65 - चंपापुरी - से कितने मुनि मोक्ष गये हैं?
उत्तर - चंपापुरी से श्री वासुपूज्य भगवान तथा छः सौ मुनि मोक्ष गये हैं।
प्रश्न 66 - गिरिनार जी से श्री नेमिनाथ भगवान को छोड़कर कौन-कौन से भव्य जीव मोक्ष गये हैं?
उत्तर - प्रद्मुनकुमार, शम्भु, अनिरूद्ध आदि बहत्तर करोड़ सात सौ मुनि मोक्ष गये हैं।
प्रश्न 67 - गजपंथा जी सिद्ध क्षेत्र की विशेषता बताइये।
उत्तर - गजपंथा सिद्ध क्षेत्र से श्री बलभद्र यादव नरेन्द्रादि सात आठ करोड़ मुनि मोक्ष गये हैं।