पञ्च परमेष्ठी में प्रथम अरिहंत परमेष्ठी के कितने मूलगुण होते हैं एवं अरिहंत परमेष्ठी कितने प्रकार के होते हैं, इसका वर्णन इस अध्याय में है।
1. अरिहंत परमेष्ठी किसे कहते हैं ?
जो सौ इन्द्रों से वंदित होते हैं, जो वीतराग, सर्वज्ञ और हितोपदेशी होते हैं। जिन्होंने चार घातिया कर्मों को नष्ट कर दिया है, जिससे उन्हें अनन्त चतुष्टय प्राप्त हुए हैं। जिनने परम औदारिक शरीर की प्रभा से सूर्य की प्रभा को भी फीका कर दिया है। जो कमल से चार अज़ुल ऊपर रहते हैं। जो 34 अतिशय तथा 8 प्रातिहार्यों से सुशोभित हैं, जो जन्म-मरण आदि 18 दोषों से रहित हो गए हैं, उन्हें अरिहंत परमेष्ठी कहते हैं।
2. अरिहंत परमेष्ठी के पर्यायवाची नाम कौन-कौन से हैं ?
अरिहत, अरुहत, अर्हन्त, जिन, सकल परमात्मा और सयोगकेवली।
3. अरिहंत परमेष्ठी के कितने मूलगुण होते हैं ?
अरिहंत परमेष्ठी के 46 मूलगुण होते हैं। जिनमें 34 अतिशय (10 जन्म के, 10 केवलज्ञान के एवं 14 देवकृत) 8 प्रातिहार्य एवं 4 अनन्त चतुष्टय।
4. अरिहंत परमेष्ठी के जन्म के 10 अतिशय बताइए ?
5. अरिहंत परमेष्ठी के केवलज्ञान के 10 अतिशय बताइए ?
6. अरिहंत परमेष्ठी के देवकृत 14 अतिशय बताइए ?
7. अष्ट प्रातिहार्य किसे कहते हैं और कौन-कौन से होते हैं ?
देवों के द्वारा रचित अशोक वृक्ष आदि को प्रातिहार्य कहते हैं। वे आठ होते हैं-1. अशोक वृक्ष, 2. तीन छत्र, 3. रत्नजड़ित सिंहासन, 4. दिव्यध्वनि, 5. दुन्दुभिवाद्य, 6. पुष्पवृष्टि, 7. भामण्डल, 8. चौंसठ चवर । (ति. प., 4/924-936)
8. अनन्तचतुष्टय कौन-कौन से होते हैं ?
अनन्त ज्ञान, अनन्त दर्शन, अनन्त सुख और अनन्त वीर्य।
9. अतिशय किसे कहते हैं ?
चमत्कारिक, अद्भुत तथा आकर्षक विशेष कार्यों को अतिशय कहते हैं। अथवा सर्वसाधारण में न पाई जाने वाली विशेषता को अतिशय कहते हैं।
10. केवली कितने प्रकार के होते हैं ?
केवली 7 प्रकार के होते हैं