।। नवकोटि और दोष ।।

8. चर्म - शरीर की त्वचा।

9. रूधिर - खून।

10. मांस - रूधिर के लिए आधर भूत पदार्थ।

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11. बीज - उगने योग्य अवयव, साबहुत धन्य गेहूं, जौ, चना इत्यादि।

12. फल- जामुन, आम, आंवला, चीकू, सेव आदि साबुत फल।

13. कंद -जमीन के नीचे उत्पन्न होने वाले फल जैसे - आलू, गाजर, मूली, अदरक, शकरकन्द आदि।

14. मूल - पिप्पली आदि जड़।

इनमें से कुछ तसे महमल हे, कुछ अल्प मल हैं, कुछ महादोष हैं, कोई अल्प दोष हैं। रूधिर, मांस, हड्डी, चर्म, पीव, ये महादोष है। आहार में इनके आ जाने पर आहार का परित्याग करके (अंतराय करके) प्रायश्चित भी लेना होता है। द्वीन्द्रित्र, त्रीन्द्रिय चतुरिन्द्रिय जीवों के मृत शरीर अर्थात् मृत, लट, चींटी, मक्खी, मच्छरादि तथा बाल, नख आ जने पर आहार छोड़ कर किंचित प्रायश्चित भी लेना पड़ता है। कण, कुंड, बीज, कंद, फल, फूल इनके आ जाने पर यदि इन्हें न निकाल सकें तो आहार छोड़ देना चाहिए।

सिद्ध भक्ति कर लेने के बाद अपने या दाता के शरीर से चार अंगुल प्रमाण रूधिर या पीव बहने लगे या मांस दिखायी दे जाए तो आहार का त्याग (अंतराय) करना चाहिए।

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