।। णमोकार महामंत्र ।।

प्रश्न 1 - णमोकार महामंत्र का शुद्ध उच्चारण करके बताइये।

उत्तर- णमो अरिहंताणं णमो सिद्धाणं णमो आयरियाणं णमो उवज्झायाणं णमो लोए सव्व साहूणं।

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प्रश्न 2 - णमोकार मंत्र का क्या आशय है।

उत्तर- णमो अरिहंताणं-अरिहंतों को नमस्कार हो, णमो-सिद्धाणं-सिद्धों को नमस्कार हो। णमो आयरियाणं-आचार्यों को नमस्कार हो। णमो उवज्झायाणं- उपाध्यायों को नमस्कार हो, णमो लोए सव्व साहूणं-लोक के सभी साधुओं को नमस्कार हो।

प्रश्न 3 - णमोकार मंत्र के अन्य प्रचलित नाम क्या हैं?

उत्तर- 1 - णमोकार मंत्र,
2 - पंच नमस्कार मंत्र
3 - परमेरष्ठी मंत्र
4 - मूलमंत्र, अनादिनिधन (शाश्वत मंत्र)
5 - महामंत्र,
6 - नवकार मंत्र।

प्रश्न 4 - णमोकार मंत्र को नमस्कार मंत्र क्यों कहा जाता हैं?

उत्तर- क्योंकि इसमें जैन धर्म के पंचपरमेष्ठीयों को नमस्कार किया गया है।

प्रश्न 5 - णमोकार मंत्र को मूलमंत्र क्यों माना जाता है?

उत्तर- णमोकार मंत्र से सभी मंत्रों की रचना हुई है ऐसा माना जाता है तथा यह सभी समंत्रों में सारभाूत रूप में रहता है।

प्रश्न 6 - णमोकार मंत्र से कितने मंत्रों की रचना हुई है।

उत्तर- णमोकार मंत्र से 84 लाख मंत्रों की रचना मानी जाती है।

प्रश्न 7 - मंत्रों का जनक किसे कहा जाता है।

उत्तर- णमोकार मंत्र को मंत्रों का जनक जाना जाता है।

प्रश्न 8 - णमोकार मंत्र में कौन-कौन से पांच पद हैं?

उत्तर- णमोकार मंत्र में पांच पद निम्न हैं। 1 - णमो अरिहंताणं
2 - णमो सिद्धाणं
3 - णमो आयरियाणं
4 - णमो उवञ्झायाणं
5 - णमोलोए सव्व साहूंणं।

प्रश्न 9 - कौन से ग्रंथ में सर्वप्रथम णमोकार मंत्र को मंगलाचरण के रूप में लिखा गया है?

उत्तर- श्री भूतवली पुष्पदंत आचार्य ने षट्खंडागम ग्रंथ में णमोकार मंत्र को मंगलाचरण के रूप में लिखा है।

प्रश्न 10 - णमोकार मंत्र को जैन धर्म का प्राण क्यों माना जाता है?

उत्तर- णमोकार मंत्र पांच परमेष्ठियों का वाचक होने से जैन धर्म का प्राण माना जाता है क्योंकि जैन धर्म पंचपरमेष्ठियों के बिना नहीं हो सकता है और पंचपरमेष्ठी जैन के सिवा अन्यत्र नहीं होते हैं।

प्रश्न 11 - णमोकार मंत्र का आगम में क्या महात्म्यं बताया गय है।

उत्तर- आगम में णमोकार मंत्र का महात्म्य निम्न प्रकर प्रतिपादित किया गया है-

ऐसा पंच णमोयारो सव्व पावप्पणासणो।
मंगलाणं च सव्वेसिंह पढ़मं हवई मंगलम्।।
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प्रश्न 12 - णमोकार मंत्र के महात्म्य का हिन्दी आशय बताइये।

उत्तर- ये पंच नमस्कार मंत्र सभी पापों का नाश करने वाला है। और सभी मंगलों में पहला मंगल है।

प्रश्न 13 - मंगल किसे कहते हैं?

उत्तर- जो पापों को गलाये तथा पुण्य को प्रदान करे उसे मंगल कहते हैं।

प्रश्न 14 - पाप किसे कहते हैं?

उत्तर- जो आत्मा का पतन करे नरक निगोद में गिराये उसे पाप कहते हैं।

प्रश्न 15 - पाप कौन-कौन से हैं?

उत्तर- 1 हिंसा 2 झूठ 3 चोरी 4 कुशील 5 परिग्रह ये पांच पाप होते हैं।

प्रश्न 16 - णमोकार मंत्र का छोटा पंचाक्षरी मंत्र कौन-सा है?

उत्तर- णमोकार मंत्र का छोटा पंचाक्षरी मंत्र असिअउसा है।

प्रश्न 17 - णमोकार मंत्र से असिआ उसा कैसे बनता है?

उत्तर- पांचों परमेष्ठियों के नाम के प्रथमाक्षर लेने से असि आ उसा बनता है जैसे अरिहंत परमेष्ठी का अ सिद्ध परमेष्ठी का सि आचार्य परमेष्ठी आ उपाध्याय परमेष्ठी का उ तथा साधु परमेष्ठी का सा लेने से असि आ उसा बनता है।

प्रश्न 18 - णमोकार मंत्र का सबसे छोटा रूप क्या है?

उत्तर- णमोकार मंत्र का सबसे छोटा रूप ऊँ हैं।

प्रश्न 19 - णमोकार मंत्र से ऊँ किस प्रकार बनता है?

उत्तर- अरिहंत जी का, अ, सिद्ध परमेष्ठी का उपर दूसरा नाम अशरीरी है दोनों के अ$ अ मिलाने से आ हो जाता है आचार्य का आ मिलाने से आ $ आ = आ ही रहता है। उपाध्याय का उ मिलाने से ओ होता है मुनि का, म मिलाने से ओ $ म = ऊँ बन जाता है।

प्रश्न 20 - पंच परमेष्ठियों के बारे में आगम में क्या महत्व की बात बताई गयी है?

उत्तर- पंचपरमेष्ठियों के महत्व को बताने वाली चत्तारिदंडक बताई गयी है।

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