।। सिद्ध परमेष्ठी ।।

jain temple91

प्रश्न 1 - सिद्ध परमेष्ठी के कितने मूलगुण होते हैं?

उत्तर - सिद्धपरमेष्ठी के आठ मूलगुण होते हैं।

प्रश्न 2 - सिद्ध परमेष्ठी के उत्तर गुण कितने होते हैं?

उत्तर - सिद्ध परमेष्ठी के उत्त्र गुण अनंतानंत होते हैं।

प्रश्न 3 - सिद्ध परमेष्ठी के कौन-कौन से मूलगुण होते हैं?

उत्तर - 1 - क्षायिक सम्यक्त्व
2 - अनंतदर्शन
3 - अनंतज्ञान
4 - अगुरूलघुत्व
5 - अवगाहनत्व
6 - सूक्ष्मत्व
7 - अनंतवीर्य
8 - अव्याबाधत्व।

प्रश्न 4 - सिद्ध परमेष्ठी के कुछ अन्य नाम बताइये।

उत्तर - मुक्त जीव, निराकार, निरंजन, निकल परमात्मा, सिद्ध परमात्मा आदि।

प्रश्न 5 - सिद्ध भगवान के मूलगुण का कथन किस आधार पर है?

उत्तर - सिद्ध भगवान ने आठ कर्मों का नाश किया है। एक-एक कर्म के नाश होने से एक-एक गुण प्रकट होता हे, इस प्रकार कर्मों के नाश के आधार पर सिद्ध भगवान के मूल गुणों का कथन है।

प्रश्न 6 - कौन से कर्म के नाश के कौन-सा गुण प्रकट होता है।

उत्तर - 1 - दर्शनावरण कर्म के नाश से अनंत दर्शन
2 - ज्ञानवरण कर्म के नाश से अनंत ज्ञान
3 - मोहनीय कर्म के नाश से क्षायिक सम्यक्त्व
4 - अंतराय कर्म के नाश से अनंतवीर्य
5 - आयु कर्म के नाश से अवगाहनत्व
6 - नाम कर्म के नाश से सूक्ष्मत्व
7 - गोत्र कर्म के नाश से अगुरू लघुत्व
8 - वेदनीय कर्म के नाश से अव्याबाधत्व।

प्रश्न 7 - अनंत दर्शन से क्या तात्पर्य है?

उत्तर - संसार के अनंत पदार्थों को एक साथ देखना।

प्रश्न 8 - अनंत ज्ञान का क्या अभिप्राय है?

उत्तर - संसार के अनंत पदार्थों को एक साथ जानना।

प्रश्न 9 - अवगाहनत्व किसे कहते हैं?

उत्तर - जिस गुण के रहने पर एक में अनंत समा जाते हैं ऐसे गुण को अवगाहनत्व कहते हैं।

प्रश्न 10 - अवगाहनत्व सिद्ध परमेष्ठी में किस प्रकार घटित होता है?

उत्तर - सिद्ध शिला पर एक सिद्ध में अनंत सिद्ध रहते हैं।

jain temple92

प्रश्न 11 - अगुरूलघु गुण का लक्षण बताइये।

उत्तर - जिस गुण के कारण छोटे बड़े का भेद समाप्त होता है वह अगुरूलघुत्व गुण है।

प्रश्न 12 - अगुरूलघुत्व गुण सिद्ध में किस प्रकार रहता है?

उत्तर - गुणों की अपेक्षा सभी सिद्ध समान होते हैं किसी में दूसरे की अपेक्षा किंचित मात्र भी गुण कम या अधिक नहीं है। जिस प्रकार एक रूपये में 100 पैसे होते हैं तो रूपये के सभी सिक्कों में 100 पैसे ही रहेंगे कम ा अधिक नहीं।

प्रश्न 13 - सिद्धों में किस अपेक्षा से भेद हैं?

उत्तर - आसन, अवगाहना, द्रव्य, भाव, क्षेत्र काल आदि की अपेक्षा से जानने के लिए भेद किया गया है।

प्रश्न 14 - कौन से आसन से सिद्ध होते हैं?

उत्तर - पर्यंकासन एवं खड़गासन इन दो आसनों से ही सिद्ध होते हैं।

प्रश्न 15 - अवगाहना से क्या अभिप्राय है?

उत्तर - उत्तम अवगाहना, मध्यम अवगाहना एवं जघन्य अवगाहना से सिद्ध हैं।

प्रश्न 16 - उत्तम अवगाहना कितनी मानी है?

उत्तर - उत्तम अवगाहना कुछ कम पांच सौ पच्ची धनुष अर्थात् इक्कीस सौ हाथ में कुछ कम।

प्रश्न 17 - उत्तम अवगाहना में किसका उदाहरण आता है?

उत्तर - भगवान बाहुबली का।

प्रश्न 18 - मध्यम अवगाहना कितनी है?

उत्तर - मध्यम अवगाहना में अनेक भेद हैं।

प्रश्न 19 - जघन्य अवगाहना कितनी है?

उत्तर - सिद्धों की जघन्य अवगाहना साड़े तीन हाथ की मानी जाती है।

प्रश्न 20 - जघन्य अवगाहना में किसका उदाहरण आता है?

उत्तर - भगवान महावीर स्वामी का।

6
5
4
3
2
1