रक्षा मन्त्र
विधि - स्मरण करन ेसे वांछितार्थ सिद्ध होता है।(बन्दीमोक्षार्थ वश्यार्थ च यन्त्रम्)
प्रत्येक ग्रह की शांति के लिए उपरोक्त मन्त्र के दस हजार जाप करने चाहिए। और सर्वग्रहों की शांति के लिए ऊँ ह्मीं बीजाक्षर पहले लगारक पंच नमस्कार मन्त्र के दस हजार जप करने चाहिए।
एते पंच परमेष्ठि महामन्त्र प्रयोगाः ऊँ नमो अरिहउ भगवत सव्वंभासइ अरिहा सव्वं भासइ केवली एणां सव्ववयगेण सव्व सव्व होउ से स्वाहा। आत्मानं शुर्चि कृत्य बाहुयुग्मं सम्पूज्य कयोत्सर्गेण शुभाशुभं वक्ति। इति।
विधि -सुगन्धित फूलों से 108 बार जाप कर लाल कपड़े से फोड़-फुन्सी पर घेरा देने से तथा गले में पहनने से फोड़ा पककर बैठ जाता है।
विधि -त्रिकाल 108 बार जपने से विभव करता है।
आवश्यक नोट - माला के ऊपर जो तीन दाने होे हैं, सबरे अन्तिम जो इन तोनों में से है उससे जप आरम्भ करो। जपते हुए अन्दर चले जाओ। जब सारे 108 जप चुको तब उन आखिर के तीन दानों को माला के अंत में भी जपते हुए उसी आखिर के दाने पर आओ। जिससे माला जपनी शुरू की थी। यह एक माला हुई इन तीनों दानों के बारे में किसी आचार्य का मत ऐसा भी है कि ये तीन दाने रत्नत्रय के सूचना है। इसलिए इन तीनों दानों पर सम्यग्दर्शन ज्ञानचारित्राय नमः ऐसा मन्त्र पढ़कर माला समाप्त (पूर्ण) करनी चाहिए।
प्रथम मन्त्र - ऊँ णमो अरहंताण, णमो सिद्धाणं, णमो आइरियाणं, णणमे उवज्झायाणं, णमो लोए सव्वसाहूणं।
दूसरा मन्त्र - अरहंत सिद्ध आइरिया उवज्झाया साहू।
तीसरा मन्त्र - परहन्त सिद्ध।
चैथा मन्त्र - ऊँ ह्मीं अ-सि-आ-उ-सा।
पांचवा मन्त्र - ऊँ नमः सिद्धेभ्यः।
छठा मन्त्र - ऊँ ह्मीं।
सातवां मन्त्र - ऊँ।
अनादिनिधन मन्त्र -
ऊँ भूः ऊँ सत्यः ऊँ स्वः ऊँमहः ऊँ जनः ऊँ तपः ऊँ रात्यं।
ऊँ भूर्भुवः स्वः अ-सि-आ-उ-सा नमः मन ऋद्धिं वृद्धिं कुरू-कुरू स्वाहा।
ऊँ नमो अर्हद्भ्यः स्वाहा, ऊँ सिद्धेभ्यः स्वाहा, ऊँ सूर्येभ्यः स्वाहा।
ऊँ पाठकेभ्यः स्वाहा। ऊँ सर्वसाधुभ्यः स्वाहा। ऊँ ह्मां ह्मीं ह्मूं ह्मौं: अ-सि-आ-उ-सा नमः स्वाहा। मम सर्वशान्तिं कुरू कुरू स्वाहा। अरहंत प्रमाणं समं करोमि स्वाहा।
ऊँ णमो अरहंताण, णमो सिद्धाणं, णमो आइरियाणं, णमो उवज्झायाणं, णमो लोए सव्वसाहूणं ह्मौं शांति कुरू कुरू स्वाहा (नमः)
ऊँ ह्मीं श्रीं अ-सि-आ-उ-सा अनाहतविद्यायै णमो अरहंताणं ह्मीं नमः।
ऊँ ह्मां ह्मीं ह्मूं ह्मौं ह्मः स्वाहा।
ऊँ ह्मीं अरहंत सिद्ध आचार्य उपाध्याय साधुभ्यः नमः।
ऊँ ह्मां ऊँ ह्मींस्वाहा।