विधि - इस मन्त्र से चावल तथा फूल पर मन्त्र पढ़कर जिसके शिर पर रखे वह वश में हो। 108 बार स्मरण करने से लाभ होता है।
विधि - यह मन्त्र नित्य प्रति टंक 3 गुणीजे। बार 108 दिवाली दिन गुणीजे। जीवनपर्यन्त सर्पभय न हो।
विधि - इस मन्त्र को 21 दिन तक जपे 108 बार शत्रु ऊपर पढ़े, क्षय होय।
विधि -108 बार पढ़े लक्ष्मी लाभ हो।
विधि -108 बार पढ़े, सर्वरोग जाय।
विधि -राख पढ़कर व्ररणदिक पर लगावे, समाप्ति हो।
विधि -250 दिन अलूणा भोजन कांजी सेती करीजे। 249 बार मन्त्र पढ़ वक्त के ऊपर याद करे। आकाश्ज्ञगमन होय।
विधि -ये मान्त्र बार 108 खड़ी मन्त्री हाथ में राखिजे। ये को देखिजे।
विधि -यह मन्त्र दिन में 3 बार जपिये। 108 बार जपे तो व्यापार में लाभ हो, सर्वत्र जय पावे।
विधि - यह मन्त्र बार 108 दिवाली के दिन जपीजे। जीवे जगतां इस थकीं भय टले।
विधि - यह मन्त्र त्रिकाल बार 108 जपे सर्व रोग जाय।
विधि - यह मन्त्र सात दिन 108 बार जपे मसान के अंगारे की राख घोलकर कौवे के पर से भोजपत्र पर लिखे। जिसका नाम लिखे वह मरे विरोध उपजे।
विधि - यह मन्त्र 108 बार जपे उत्तम स्थान में। सर्वसिद्धि और जयदायक है। सात बार मन्त्र पढ़कर कपड़े में गांठ देने से चोर-भय नहीं होता, सर्पभय भी नहीं होता।
विधि -पुष्प या फल से एक लाख जाप वृक्षे छीकं कृतवा तरणी-बद्धंतं आरूढोऽग्नि कुण्डो होमयेत्। येका घातेन पादास्त्रोट्यते खे गमनम्।
विधि - यह सर्वकार्य सिद्ध करने वाला मन्त्र है।
विधि -षोडशाक्षरविद्यायाः जाप्य 200 चतुर्थफलम्।