{जीवस्य} जीव के {औपशमिकक्षायिकौ} औपशमिक और क्षायिक {भावौ} {च मिश्रः} और मिश्र तथा {औदयिक-पारिणामिकौ च} औदयिक और पारिणामिक यह पांच भाव {स्वतत्वम्} निजभाव हैं अर्थात् यह जीव के अतिरिक्त दूसरे में नहीं होते।
The distinctive characteristics of the soul are the dispositions (thought-activities) arising from subsidence, destruction, destruction-cum-subsidence of karmas, the rise of karmas, and the inherent nature or capacity of the soul.
उपरोक्त पांच भाव {यथाक्रमम्} क्रमशः {द्वि नव अष्टादश एकविंशति त्रिभेदाः} दो नव, अट्ठारह, इक्कीस और तीन भेद वाले हैं।
(These are of) two, nine, eighteen, twenty-one, and three kinds respectively.
{सम्यक्त्व} औपशमिक सम्यक्त्व और {चारित्रे} औपशमिक चारित्र - इस प्रकार औपशमिकभाव के दो भेद हैं।
(The two kinds are) right belief and conduct.
{ज्ञान दर्शन दान लाभ भोग उपभोग वीर्याणि} केवलज्ञान, केवलदर्शन, क्षायिकदान, क्षायिकलाभ, क्षायिकभोग, क्षायिकउपयोग, क्षायिकवीर्य तथा {च} च कहने पर, क्षायिकसम्यक्त्व और क्षायिकचारित्र - इस प्रकार क्षायिकभाव के नौ भेद हैं।
(The nine kinds are) knowledge, perception, gift, gain, enjoyment, re-enjoyemnt, energy, etc.
{ज्ञान अज्ञान} मति, श्रुख्, अवा और मनःपर्यय यह चार ज्ञान तथा कुमति, कुश्रुत और कुअवधि ये तीन अज्ञान, {दर्शन} चक्षु, अचक्षु और अवधि ये तीन दर्शन, {लब्धयः} क्षायोपशमिक दान, लाभ, भोग, उपभाग, वीर्य ये पांच लब्धियां {चतुः त्रि त्रि पंच भेदाः} इस प्रकार 4$3$3$5=15 भेद तथा {सम्यक्त्व} क्षायोपशमिक सम्यक्त्व {चारित्र} क्षायोपशमिक चारित्र {च} और {संयमासयमाः} संयमासंयम - इस प्रकार क्षायोपशमिकभाव के 18 भेद हैं।
(The eighteen kinds are) knowledge, wrong knowledge, perception, and attainment, of four, three, three, and five kinds, and right faith, conduct, and mixed disposition of restraint and non-restraint.
{गति} तिर्यंच, नरक, मनुष्य और देव - यह चार गतियाँ,
{कषाय} क्रोध, मान, माया, लोभ - यह चार कषायें,
{लिंग} स्त्रीवेद, पुरूषवेद और नपुंसकवेद - यह तीन लिंग,
{मिथ्यादर्शन} मिथ्यादर्शन {अज्ञान} अज्ञान
{असंयत} असंयम {असिद्ध} असिद्धत्व तथा {लेश्याः} कृष्ण, नील, कापोत, पीत, पद्म और शुक्ल - यह छह
लेश्यायें, इस प्रकार {चतुः चतुः त्रि एक एक एक एक षड् भेदाः}
4$4$3$1$1$1$16=21, इस प्रकार सब मिलाकर औदयिकभाव के 21 भेद हैं।
(These are) the conditions of existence, the passions, sex, wrong belief, wrong knowledge, non-restraint, non-attainment of perfection (imperfect disposition), and colouration, which are of four, four, three, one, one, one, one, and six kinds.
{जीवभव्याभव्यत्वानि च} जीवत्व, भव्यत्व और अभव्यत्व - इस प्रकार पारिणामिक भाव के तीन भेद हें।
(These three are) the principle of life (consciousness), capacity for salvation, and incapacity for salvation.
{लक्षणम्} जीव का लक्षण {उपयोगः} उपयोग है।
Consciousness is the differential (distinctive characteristic) of the sould.
{सः} वह उपयोग {द्विविधः} ज्ञानोपयोग और दर्शनोपयोग के भेद से दो प्रकार का है, और वे क्रमशः {अष्ट चतुः भेदः} आठ और चार भेद सहित हैं अर्थात ज्ञानोपयोग के मति, श्रुत, अवधि, मनःपर्यय, केवल {यह पांच सम्यग्ज्ञान} और कुमति, कुश्रुत तथा कुअवधि {यह तीन मिथ्याज्ञान} इस प्रकार आठ भेद हैं। तथा दर्शनोपयोग के चक्षु, अचक्षु, अवधि तथा केवल इस प्रकार चार भेद हैं। इस प्रकार ज्ञान के आठ और दर्शन के चार भेद मिलकर उपयोग के कुल बारह भेद हैं।
Consciousness is of two kinds. And these in turn are of eight, and four kinds respectively.
जीव {संसारिणः} संसारी {च} और {मुक्ताः} मुक्त - ऐसे दो प्रकार के हैं। कर्म सहित जीवों को संसारी और कर्म रहित जीवों को मुक्त कहते हैं।
The transmigrating and the emancipated souls.
संसारी जीव {समनस्काः} मनसहित-सैनी {अमनस्काः} मनरहित-असैनी, यों दो प्रकार के हैं।
The two kinds of transmigrating souls are those) with and without minds.
{संसारिणः} संसारी जीव {त्रस} त्रस और {स्थावराः} स्थावरा के भेद से दो प्रकार के हैं।
The transmigrating souls are (of two kinds), the mobile and the immobile beings.
{पृथिवी अप् तेजः वायुः वनस्पतयः} पृथ्वीकायिक, जलकायिक, अग्निकायिक, वायुकायिक और वनस्पतिकायिक - यह पांच प्रकार के {स्थावराः} स्थावर जीव हैं। {इन जीवों के मात्र एक स्पर्शन इन्द्रिय होती है।}
Earth, water, fire, air, and plants are immobile beings..
{द्विइन्द्रिय आदयः} दो इन्द्रिय से लेकर अर्थात् दो इन्द्रिय, तीन इन्द्रिय, चार इन्द्रिय और पांच इन्द्रिय जीव {त्रसाः} त्रस कहलाते हैं।
The mobile beings are from the two-sensed beings onwards..
{इन्द्रियाणि} इन्द्रियां {पंच} पांच हैं।
The senses are five.
सब इन्द्रियां {द्विविधानि} द्रव्येन्द्रिय और भावेन्द्रिय के भेद से दो पकार की हैं।
(The senses are of) two kinds.
{निर्वृत्ति उपकरणे} निवृत्ति और उपकरण को {द्रव्येन्द्रियम्} द्रव्येन्द्रिय कहते हैं।
(The physical sense consists of accomplishment (of the organ itself) and means or instruments – (its protecting environment).
{लब्धि उपयोगौ} लब्धि और उपयोग को {भावेन्द्रियम} भावेन्द्रिय कहते हैं।
(The physical sense consists of attainment and consciousness.
{स्पर्शन} स्पर्शन, {रसन} रसना, {घ्राण} नाक, {चक्षुः} चक्षु और {श्रोत्र} कान - यह पांच इन्द्रियां हैं।
Touch, taste. smell, sight, and hearing (are the senses).
{स्पर्शरसगन्धवर्णशब्दाः} स्पर्श, रस, गन्ध, वर्ण {रंग} शब्द - यह पांच क्रमशः {तत् अर्थाः} उपरोक्त पांच इन्द्रियों के विषय हैं अर्थात् उपरोक्त पांच इन्द्रियां उन-उन विषयों को जानती हैं।
Touch, taste, smell, colour and sound are the object of the senses.
{अनिन्द्रियस्य} मन का विषय {श्रुतम्} श्रुतज्ञानगोचर पदार्थ हैं अथवा मन का प्रयोजन श्रुतज्ञान है।
Scriptural knowledge is the province of the mind.
{वनस्पति, अन्तानाम्} वनस्पतिकाय जिसके अंत में है ऐसे जीवों के अर्थात पृथ्वीकायिक, जलकायिका, अग्निकायिक, वायुकायिक और वनस्प्तिकायिक जीवों के {एकम्} एक स्पर्शन इन्द्रिय ही होती है।
Up to the end of plants (there is only) one sense.
{कृमिपिपीलिकाभ्रमर मनुष्यादीनाम्} कृमि इत्यादि, चींटी इत्यादि, भ्रमर इत्यादि तथा मनुष्य के {एकैक वृद्धानि} क्रम से एक एक इन्द्रिय बढ़ती (अधिक-अधिक) है अर्थात् कृमि इत्यादि के दो, चींटी इत्यादि के तीन, भौरा इत्यादि के चार और मनुष्य इत्यादि के पांच इन्द्रियां होती हैं।
The worm, the ant, the bee, and the man, etc., have each one more sense than the preceding one.
{समनस्काः} मनसहित जीवों को {संज्ञिनः} सैनी कहते हैं।
The five-sensed beings with minds are called samjni jivas.
{विग्रहगतौः} विग्रहगति में अर्थात् नये शरीर के लिये गमन में {कर्मयोगः} कार्मण काययोग होता है।
In transit from one body to another, (there is) vibration of the karmic body only.
{गतिः} जीव पुद्गलों का गमन {अनुश्रेणि} श्रेणी के अनुसार ही होता है।
Transit (takes place) n rows (straight lines) in space.
{जीवस्य} मुक्त जीव की गति {अविग्रहा} वक्रता रहित सीधी होती है।
The movement of a (liberated) soul is without a bend.
{संसारिणः} संसारी जीव की गति {चतुभ्र्यः प्राक्} चार समय से पहले {विग्रहवती च} वक्रता-मोड़ सहित तथा रहित होती है।
The movement of the transmigrating souls is with bend also prior to the fourth instant.
{अविग्रहा} मोड़ रहित गति {एकसमया} एक समय मात्र ही होती है अर्थात् उसमें एक समय ही लगता है।
Movement without a bend (takes) one instant.
{विग्रहगति में} {एकं द्वौ वा तीन्} एक दो अथवा तीन समय तक {अनाहारकः} जीव अनाहारक रहता है।
For one, two, or three instants (the soul remains) non-assimiltive.
{सम्मूच्र्छनगर्भउपपादाः} सम्मूच्र्छन, गर्भ और उपपाद तीन प्रकार का {जन्म} होता है।
Birth is by spontaneous generation, from the uterus or in the special bed.
{सचित्त शीत संवृताः} सचित्त, शीत, संवृत {सेतरा} उससे उलटी तीन - अचित्त, उष्ण, विवृत {च एकशः मिश्राः} और क्रम से एक एक की मिली हुई तीन अर्थात् सचित्ताचित्त, शीतोष्ण और संवृतविवृत {तत् योनयः} ये नव जन्मयोनियां हैं।
Living matter, cold, covered, their opposites, and their combinations are the nuclei severally.
{जरायुज अ डज पोतानां} जरायुज, अ डज और पोतज इन तीन प्रकार के जीवों के {गर्भः} गर्भजन्म ही होता है अर्थात् उन जीवों के ही गर्भजन्म होता है।
Uterine birth is of three kinds, umbilical (with a sac covering), incubatory (from an egg), and unumbilical (without a sac covering1)
{देवनारकाणाम्} देव और नारकी जीवों के {उपपादः} उपपादजन्म ही होता है अर्थात् उपपादजन्म उन जीवों के ही होता है।
The birth of celestial and infernal beings is (by instantaneous rise) in special beds2.
1 - Some are born with the outer covering of the embryo. Children and calves are born with such outer coverings. the chickens etc. are born from eggs. The young ones of the deer, the cubs, etc. are born without any covering. Their limbs are perfected at the tme of birt, and they re immediately active.
2 - The celestial beings are born in box-beds, and the infernal beings in bladders hung from the ceiling of the holes in hell.
{शेषाणां} गर्भ और उपपाद जन्म वाले जीवों के अतिरिक्त शेष जीवों के {सम्च्र्छनम्} सम्मूच्र्छन जन्म ही होता है अथात् सम्मूच्र्छन जन्म शेष जीवो के ही होता है।
The birth of the rest is by spontaneous generation.
{औदारिक वैक्रियिक आहारक तैजस कार्मणानि} औदारिक, वैक्रियिक, आहारक, तैजस और कार्मण {शरीराणि} यह पांच शरीर हैं।
The gross, the transformable, the projectable or assimilative, the luminous (electric), and the karmic are the five types of bodies.
पहिले कहे हुए शरीरों की अपेक्षा {परं पर} आगे-आगे के शरीर {सूक्ष्मम्} सूक्ष्म-सूक्ष्म होते हैं, अर्थात् औदारक की अपैक्ष वैक्रियिक सूक्ष्म, वैक्रियिक की अपेक्षा आहारक सूक्ष्म, आहारक की अपेक्षा तैजस सूक्ष्म, और तैजस की अपेक्षा से कार्मण शरीर सूक्ष्म होता है।
(The bodies are) more and more subtle successively.
{प्रदेशतः} प्रदेशों की अपेक्षा से {तैजसात् प्राक्} तैजस शरीर से पहिले के शरीर {असंख्येयगुणं} असंख्यात्गुने हैं।
Prior to the luminous body, each has innumerable times the number of space-points of the previous one.
{परे} शेष दो शरीर {अनन्तगुणे} अनन्तगुने परमाणु (प्रदेश) वाले हैं अर्थात् आहारक शरीर की अपेक्षा अनन्तगुने प्रदेश तैजस शरीर में होते हैं और तैजस शरीर की अपेक्षा अनन्तगुने प्रदेश कार्मण शरीर में होते हैं।
The last two have infinite fold (space-points).
तैजस और कार्मण ये दोनों शरीर {अप्रतीघाते} अप्रतीघात अर्थात् बाधा रहित हैं।
(The last two are) without impediment.
{च} और यह दोनों शरीर {अनादिसम्बन्धे} आत्मा से साथ अनादिकाल से सम्बन्ध वाले हैं।
(These are of) beginning-less association also.
ये तैजस और कार्मण शरीर {सर्वस्य} सब संसारी जीवेम के होते हैं।
(These two are associated with all.
{तदादीनि} उन तैजस और कार्मण शरीरों से प्रारम्भ करके {युगपत्} एक साथ {एकस्मिन्} एक जीव के {आचतुभ्र्यः} चार शरीर तक {भाज्यानि} विभक्त करना चाहिये अर्थात् जानना चाहिये।
Commencing with these, up to four bodies can be had simultaneously by a single soul.
{अन्त्यम्} अंत का कार्मण शरीर {निरूपभोगम्} उपभोग रहित होता है।
The last is not the means of enjoyment.
{गर्भ} गर्भ {सम्मूच्र्छनजम्} और सम्मूच्र्छन जन्म से उत्पन्न होने वाला शरीर {अद्यं} पहिला - औदारिक शरीर कहलाता है।
The first is of uterine birth and spontaneous generation.
{औपपादिकं} उपपादजन्म वाले अर्थात देव और नारकियों के शरीर {वैक्रियिकम्} वैक्रियिकम् होते हैं।
The transformable body originates by birth in special beds.
वैक्रियिक शरी {लब्धिप्रत्ययं च} लब्धि-नैमित्तिक भी होता है।
Attainment is also the cause (of its origin).
{तैजसम्} तैजस शरीर {अपि} भी लब्धि-नैमित्तिक है।
The luminous body also (is caused by attainment).
{आहारकं} आहारक शरीर {शुभम्} शुभ है अर्थात् वह शुभ कार्य है {विशुद्धम} विशुद्ध है अर्थात वह विशुद्धकर्म {मंद कषाय से बंने वाले कर्म} का कार्य है। {च अव्याघाति} और व्याघात-बाधारहत है तथा {प्रमत्तसंयतस्यैव} प्रमत्तसंयत {छठवें गुणस्थानवर्ती} मुनि के ही वह शरीर होता है।
The projectable body, which is auspicious and pure and without impediment, originates in the saint of the sixth stage only.
{नारकसम्मूच्र्छिनो} नारकी और सम्मूच्र्छन जन्म वाले {नपुंसकानि} नपुंकस होते हैं।
The infernal beings and the spontaneously generated are of the neuter sex.
{देवाः} देव {न} नपुंसक नहीं होते, अर्थात् देवों के पुरूषलिंग और देवियों के स्त्रीलिंग होता है।
The celestial beings are not (of neuter sex).
{शेषाः} शेष के गर्भज मनुष्य और तिर्यंच {त्रिवेदाः} तीनों वेद वाले होते हैं।
The rest are of three sexes (signs).
{औपपादिक} उपपाद जन्मवाले देव और नारकी, {चरम उत्तम देहाः} चरम उत्तम देह वाले अर्थात् उसी भव में मोक्ष जाने वाले तथा {असंख्येयवर्ष आयुषः} असंख्याल वर्ष आयु वाले भोगभूमि के जीवों की {आयुषः अनपवर्ति} आयु अपवर्तन रहित होती है।
The lifetime of beings born is special beds, those with final, superior bodies and thoses of innumerable years, cannot be cut short.
।। इति तत्वार्थधिगमे मोक्षशास्त्रे द्वितीयोऽध्यायः।।