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श्री महावीर स्वामी विधान
भगवान श्री महावीर स्वामी भजन
भजन -प्रज्ञाश्रमणी आर्यिका चन्दनामती
नाम तिहारा तारनहारा कब तेरा दर्शन होगा। तेरी प्रतिमा इतनी सुन्दर, तू कितना सुन्दर होगा।। टेक.।।
जाने कितनी माताओं ने, कितने सुत जन्में हैं। पर इस वसुधा पर तेरे सम, कोई नहीं बने हैं।।
पूर्व दिशा में सूर्य देव सम, सदा तेरा सुमिरन होगा। तेरी प्रतिमा इतनी सुन्दर, तू कितना सुन्दर होगा।।१।।
पृथ्वी के सुन्दर परमाणू, सब तुझमें ही समा गए। केवल उतने ही अणु मिलकर, तेरी रचना बना गए।।
इसीलिए तुझ सम सुन्दर नहिं, कोई नर सुन्दर होगा। तेरी प्रतिमा इतनी सुन्दर, तू कितना सुन्दर होगा।।२।।
मन में तव सुमिरन करने से, पाप सभी नश जाते हैं। यदि प्रत्यक्ष करें तव दर्शन, मनवांछित फल पाते हैं।।
आज ‘‘चंदनामती’’ प्रभू का, अनुपम गुण कीर्तन होगा। तेरी प्रतिमा इतनी सुन्दर, तू कितना सुन्दर होगा।।३।।
भजन -प्रज्ञाश्रमणी आर्यिका चन्दनामती - तर्ज—बजे कुण्डलपुर में......
वीर भज ले तू महावीर भज ले, काम सारे बन जायेंगे, वीर भज ले।। टेक.।।
क्यों भूला तू महावीर को-२ महावीर नैय्या तिरवायेंगे, वीर भज ले......।।१।।
क्यों भूला तू मंदिर को-२ जीने की कला बतलायेंगे, वीर भज ले......।।२।।
क्यों भूला तू मंदिर को-२ मंदिर ही तुझे तिरवायेंगे, वीर भज ले......।।३।।
क्यों भूला तू सच्चे देव को-२ वही तो देव बनवायेंगे, वीर भज ले......।।४।।
क्यों भूला तू शास्त्रों को-२ वे ही तो ज्ञान सिखलायेंगे, वीर भज ले......।।५।।
क्यों भूला तू गुरुओं को-२ वे ही तो पथ दर्शायेंगे, वीर भज ले......।।६।।
क्यों भूला तू मात-पिता को-२ वे ही तो तेरा हित चाहेंगे, वीर भज ले......।।७।।
क्यों भूला तू भाई-बहन को-२ वे ही तो प्रेम सिखलायेंगे, वीर भज ले......।।८।।
मत भूल तू धरम करम को-२ ये ही तो ज्ञान सिखलायेंगे, वीर भज ले......।।९।।
ले ले ‘‘चंदना’’ तू वीर का शरणा-२ ये ही तो मोक्ष दिलवायेंगे, वीर भज ले......।।१०।।
भजन -प्रज्ञाश्रमणी आर्यिका चन्दनामती तर्ज—मेरे देश की धरती......
कुण्डलपुर धरती वीरप्रभू के जन्म से धन्य हुई है। कुण्डलपुर धरती......ओ......।। टेक.।।
छब्बिस सौ वर्षों पूर्व जहाँ, धनपति ने रतन बरसाये थे। रानी त्रिशला के सपने सुन, सिद्धार्थराज हरषाये थे।।
तीर्थंकर सुत को पाकर त्रिशला माता धन्य हुई है। कुण्डलपुर धरती......ओ......।।१।।
पलने में देख वीर प्रभु को, मुनियों की शंका दूर हुई। इक देव सर्प बनकर आया, उसकी शक्ती भी चूर हुई।।
कुण्डलपुर की ये सत्य कथाएं जिन आगम में कही हैं। कुण्डलपुर धरती......ओ......।।२।।
गणिनी माताश्री ज्ञानमती के, चरण पड़े कुण्डलपुर में। अतएव वहाँ पर नंद्यावर्त, महल मंदिर भी शीघ्र बने।।
महावीर जन्मभूमी विकास की घड़ियां धन्य हुई हैं। कुण्डलपुर धरती......ओ......।।३।।
उस जन्मभूमि के दर्शन कर, तुम भी निज शंका दूर करो। महावीर प्रभू के सन्मुख अपनी, इच्छाएँ परिपूर्ण करो।।
‘‘चन्दनामती’’ उसके दर्शन पाकर के धन्य हुई है। कुण्डलपुर धरती......ओ......।।४।।