Home
Bhajans
Videos
Aarti
Jain Darshan
Tirthankar Kshetra
KundKundacharya
Sammed Shikharji
Vidhi Vidhan
जैन पंचांग
January
February
March
April
May
June
July
August
September
October
November
December
Jain Puja Home
>
Vidhi Vidhan
>
नवग्रहशांति कारक मंत्र
>
बड़ी जयमाला
अथ नवग्रहशांति स्तोत्रम्
बड़ी जयमाला
तर्ज- जो नर पीने जिनधर्म.......................
नवग्रह की पूजन सब कर लो, रोग सभी नश जाएंगे।
श्रीजिनवर की अर्चन कर लो, पाप सभी कट जाएंगे।।टेक.।।
मस्तक में अज्ञान भरा है, श्रुत का सार नहीं भाता।
प्रभु चरणों में शीश झुका लो, रोग सभी नश जाएंगे।।
नवग्रह की पूजन सब कर लो, रोग सभी नश जाएंगे।
श्रीजिनवर की अर्चन कर लो, पाप सभी कट जाएंगे।।1।।
कर्णेन्द्रिय को अब जिनवाणी, सुनने का अीयास नहीं।
मन्दिर में आ प्रवचन सुन लो, रोग सभी नश जाएंगे।।
नवग्रह की पूजन सब कर लो, रोग सभी नश जाएंगे।
श्रीजिनवर की अर्चन कर लो, पाप सभी कट जाएंगे।।2।।
रंग बिरंगे रूप निरखना, इन अंखियन को भाता है।
प्रभु मुद्रा का तेज निरख लो, रोग सभी नश जाएंगे।।
नवग्रह की पूजन सब कर लो, रोग सभी नश जाएंगे।
श्रीजिनवर की अर्चन कर लो, पाप सभी कट जाएंगे।।3।।
इत्रफुलेल सुगंधित द्रव्यों, को घ्राणेन्द्रिय चाह रही।
प्रभु के गुण की सुरभी ले लो, रोग सभी नश जाएंगे।।
नवग्रह की पूजन सब कर लो, रोग सभी नश जाएंगे।
श्रीजिनवर की अर्चन कर लो, पाप सभी कट जाएंगे।।4।।
रसना अरू स्पर्शन को, खाने पीने का शौक चढ़ा।
प्रभु भक्ती का अमृत चख लो, रोग सभी नश जाएंगे।।
नवग्रह की पूजन सब कर लो, रोग सभी नश जाएंगे।
श्रीजिनवर की अर्चन कर लो, पाप सभी कट जाएंगे।।5।।
पंचेन्द्रिय विषयों को प्रभु ने, त्याग दिया क्षण भर में ही।
इसीलिए इनकी छाया पा, रोग सभी नश जाएंगे।।
नवग्रह की पूजन सब कर लो, रोग सभी नश जाएंगे।
श्रीजिनवर की अर्चन कर लो, पाप सभी कट जाएंगे।।6।।
जन्मकुंडली में यदि ये ग्रह, अशुभ जगह पर रहते हैं।
दुःख मिले यदि प्रभु पद नम लो, रोग सभी नश जाएंगे।।
नवग्रह की पूजन सब कर लो, रोग सभी नश जाएंगे।
श्रीजिनवर की अर्चन कर लो, पाप सभी कट जाएंगे।।7।।
प्रभु भक्ती से ही ये सब ग्रह, उच्च और शुभ बन जाते।
पूजन से इनको शुभ कर लो, रोग सभी नश जाएंगे।।
नवग्रह की पूजन सब कर लो, रोग सभी नश जाएंगे।
श्रीजिनवर की अर्चन कर लो, पाप सभी कट जाएंगे।।8।।
जन्म जन्म में संचित अघ, प्रभु नाममात्र से कटते हैं।
अतः नाम जिनवर का जप लो, रोग सभी नश जाएंगे।
नवग्रह की पूजन सब कर लो, रोग सभी नश जाएंगे।
श्रीजिनवर की अर्चन कर लो, पाप सभी कट जाएंगे।।9।।
तनम न धन का कष्ट दूर हो, आशा यही ’’चन्दना’’ मेरी।
सब मिल अघ्र्य चढ़ाओ प्रभु को, रोग सभी नश जाएंगे।।
नवग्रह की पूजन सब कर लो, रोग सभी नश जाएंगे।
श्रीजिनवर की अर्चन कर लो, पाप सभी कट जाएंगे।।10।।
-दोहा-
नवग्रह का ग्रह शान्त हो, इच्छित फल हो प्राप्त।
मन की शुद्धी पूर्ण कर, बनूं शीघ्र मैं आप्त।।11।।
ऊँ ह्रीं नवग्रहारिष्टनिवारक श्रीश्रीनवतीर्थंकरचरणेभ्यो जयमाला पूर्णाघ्र्यम् निर्वपामीति स्वाहा।
शांतये शांतिधारा, दिव्य पुष्पांजलिः।
-शेरछंद-
जो भव्यजीव नवग्रहों की, शान्ति चाहते।
वे सुखसमृद्धि प्राप्त करे, इस विधान से।।
यह जिनवरों की अर्चना, सम्यक्त्व क्रिया है।
फल भुक्ति मुक्ति ’’चन्दनामति’’ सार्थ हुआ है।।
इत्याशीर्वादः पुष्पांजलिः।
प्रशस्ति
-दोहा-
अश्विन कृष्ण चतुर्दशी, श्राद्ध पूर्व तिथि ख्यात।
वीर संवत् पच्चीस सौ, पच्चिस का चैमास।।1।।
दिल्ली नगरी में हुआ, वर्षायोग महान।
ज्ञानमती गणिनीप्रमुख, संघ सहित वरदान।।2।।
उनकी शिष्या चन्दनामति, ने रचा विधान।
नवग्रह शांति हेतु यह, रचना पूरण जान।।3।।
नवग्रह की बाधाओं से, दुखित जगत के जीव।
उन ग्रह की पूजाओं से, होवें सुखी सदैव।।4।।
जब तक नभ में ग्रह रहे, हो उन संग संबंधी।
तब तक नवग्रहशांति का, होता रहे प्रबंध।।5।।