Home
Bhajans
Videos
Aarti
Jain Darshan
Tirthankar Kshetra
KundKundacharya
Sammed Shikharji
Vidhi Vidhan
जैन पंचांग
January
February
March
April
May
June
July
August
September
October
November
December
श्री रत्नत्रय पूजा विधान
श्री रत्नत्रय विधान की मंगल आरती
-ब्र. कु. सारिका जैन (संघस्थ)
-तर्ज-माई रे माई...........
त्नत्रय मण्डल विधान की, आरति मंगलकारी।
तीन रत्न की आरति करके, बनूँ रत्नत्रयधारी।।
बोलो रत्नत्रय की जय, दर्शन-ज्ञान-चरित की जय।
सम्यग्दर्शन-ज्ञान और चारित्र ये तीन रतन हैं।
इनके धारक परमेष्ठी को, मेरा शत वन्दन है।।
इनके वंदन से हम सब भी.........
इनके वंदन से हम सब भी, बनें मुक्तिपथराही।
तीन रत्न की आरति करके, बनूँ रत्नत्रयधारी।।बोलो रत्नत्रय की जय, ....।।१।।
काल अनादी से रत्नत्रय, को शिवपथ माना है।
इनकी पूर्ण प्राप्ति होने पर, शाश्वत सुख पाना है।।
उस शाश्वत सुख की इच्छा ही.......
उस शाश्वत सुख की इच्छा ही, भव दुख नाशनकारी।
तीन रत्न की आरति करके, बनूँ रत्नत्रयधारी।।बोलो रत्नत्रय की जय, ......।।२।।
रत्नत्रय व्रत एक वर्ष में, तीन बार आता है।
माघ-भाद्रपद-चैत्र मास में, इसे किया जाता है।।
व्रत पूरा करके उद्यापन.....
व्रत पूरा करके उद्यापन, करते हैं नर-नारी।
तीन रत्न की आरति करके, बनूँ रत्नत्रयधारी।।बोलो रत्नत्रय की जय, .......।।३।।
व्रत समाप्त होने पर रत्नत्रय विधान को करिए।
आत्मविशुद्धी हेतु हृदय में, शुभ भावों को भरिए।।
देव-शास्त्र-गुरु की भक्ती से.......
देव-शास्त्र-गुरु की भक्ती से, मिले सौख्य भी भारी।
तीन रत्न की आरति करके, बनूँ रत्नत्रयधारी।।बोलो रत्नत्रय की जय, .......।।४।।
इस रत्नत्रय के विधान से, जग में मंगल होवे।
करने और कराने वालों, को सुख-सम्पति देवे।।
करें ‘‘सारिका’’ पंच परमगुरु.......
करें ‘‘सारिका’’ पंच परमगुरु, रक्षा सदा हमारी।
तीन रत्न की आरति करके, बनूँ रत्नत्रयधारी।।बोलो रत्नत्रय की जय, .......।।५।।