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कल्याण मंदिर विधान
पंचकल्याणक अर्घ्य
तर्ज-आए महावीर भगवान, माता त्रिशला के आँगन में........
कर के पारस प्रभू का ध्यान, हम पारस बन जाएंगे।
हम पारस बन जाएंगे, मुक्तिश्री पा जाएंगे।।कर के.....।।
वैशाख कृष्ण दुतिया को, माता के गर्भ पधारे।
माता वामा ने सोलह, सुपने देखे थे प्यारे।।
कर के भक्ति गर्भकल्याण, हम पारस बन जाएंगे।।१।।
ॐ ह्रीं वैशाखकृष्णाद्वितीयायां गर्भकल्याणकप्राप्ताय श्रीपाश्र्वनाथजिनेन्द्राय अर्घ्य निर्वपामीति स्वाहा।
शुभ पौष कृष्ण ग्यारस को, तीर्थंकर बालक जन्मे।
शचि गई प्रभू को लेने, माता के प्रसूति गृह में।।
पूजा करके जन्मकल्याण, हम पारस बन जाएंगे।।२।।कर के.....।।
ॐ ह्रीं पौषकृष्णाएकादश्यां जन्मकल्याणकप्राप्ताय श्रीपाश्र्वनाथजिनेन्द्राय अर्घ्य निर्वपामीति स्वाहा।
पौषी कृष्णा एकम को, दीक्षाधारी जा वन में।
लौकान्तिक सुरगण आए, प्रभु की संस्तुति भी करने।।
जज के दीक्षा शुभकल्याण, हम पारस बन जाएंगे।।३।।कर के....।।
ॐ ह्रीं पौषकृष्णाएकादश्यां दीक्षाकल्याणकप्राप्ताय श्रीपाश्र्वनाथजिनेन्द्राय अर्घ्य निर्वपामीति स्वाहा।
शुभ चैत्र चतुर्थी के दिन, प्रभु केवलज्ञान हुआ था।
सबने प्रभु समवसरण में, दिव्यध्वनि पान किया था।।
भज लें प्रभु का केवलज्ञान, हम पारस बन जाएंगे।।४।। कर के....।।
ॐ ह्रीं चैत्रकृष्णा चतुथ्र्यां केवलज्ञानकल्याणकप्राप्ताय श्रीपाश्र्वनाथजिनेन्द्राय अर्घ्य निर्वपामीति स्वाहा।
श्रावण शुक्ला सप्तमि को, प्रभु का निर्वाण हुआ था।
सम्मेदशिखर पर्वत पर, इन्द्रों ने हवन किया था।।
पूजन करें मोक्षकल्याण, हम पारस बन जाएंगे।।५।।कर के.....।।
ॐ ह्रीं श्रावणशुक्लासप्तम्यां मोक्षकल्याणकप्राप्ताय श्रीपाश्र्वनाथजिनेन्द्राय अर्घ्य निर्वपामीति स्वाहा।