|| आरती - पंचपरमेष्ठी नमस्कार ||
मंगलं भगवान वीरो मंगलं गौतमो गुणी |
मंगलं कुन्द कुन्दाद्यो जैन धर्मोऽस्तु मंगलम् ||
पंच परम गुरु को नमूं सरस्वती शीश नवाय |
गुरु गौतम प्रणमूं सदा, दिजे ज्ञान बताय ||
चारों गति को जीव सूं, बैर भाव मिट जाय |
क्षमा करो सब जीव पर इण बिरियां में आय ||
नमूँ अक्षर पैंतीस को, बहत्तर लागूं पांय |
‘कृत्रिम-अकृत्रिम जिन भवन, बन्दूँ सब जिनराय ||
अरहंत छियालीस, सिद्ध आठा, सुर छत्तीसा |
उपाध्याय पच्चीसा, अठबीसा सर्वसाधुजी नमः||
 
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