।। उपाध्याय परमेष्ठी ।।

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प्रश्न 40 - परिकर्म के पांच भेदों के नाम बताइये।

उत्तर - 1 - चन्द्रप्रज्ञप्ति
2 - सूर्यप्रज्ञप्ति
3 - जम्बूद्वीप प्रज्ञप्ति
4 - द्वीप सागर
5 - प्रज्ञप्ति एवं व्याख्या पज्ञप्ति।

प्रश्न 41 - चन्द्र प्रज्ञप्ति में किसका वर्णन हैं?

उत्तर - चन्द्र प्रज्ञप्ति में चन्द्रविमान की आयु, परिवार, ऋद्धि, मगन, हानि, वृद्धि पूर्ण -ग्रहण, अर्ध ग्रहण, चर्तुंशग्रहण आदि का वर्णन है।

प्रश्न 42 - चन्द्र प्रज्ञप्ति में पदों की संख्या कितनी है?

उत्तर - चन्द्र प्रज्ञप्ति में पदों की संख्या छत्तिस लाख पांच हजार है।

प्रश्न 43 - सूर्य प्रज्ञप्ति में सिका वर्णन किया गया है?

उत्तर - सूर्य प्रज्ञप्ति में सूर्य की आयु, मंडल, परिवार, ऋद्धि गमन का प्रमाण तथा ग्रहण आदि का वर्णन है।

प्रश्न 44 - सूर्य प्रज्ञप्ति में पदों की संख्या कितनी है?

उत्तर - सूर्य प्रज्ञप्ति में पदों की संख्या छः लाख तीन हजार है।

प्रश्न 45 - जम्बूद्वीप प्रज्ञप्ति में किन-किन बातों का वर्णन रहता है।

उत्तर - जम्बूद्वीप प्रज्ञप्ति में जम्बूद्वीप, मेरू, कुलाचल, सरोवर, क्षेत्र, कुण्ड वेदिका, वन खण्ड, व्यंतरों के आवास, महानदी आदि का वर्णन रहता है।

प्रश्न 46 - जम्बूद्वीप प्रज्ञप्ति में पदों की संख्या कितनी हैं?

उत्तर - जम्बूद्वीप प्रज्ञप्ति में पदों की संख्या तीन लाख पच्चीस हजार है।

प्रश्न 47 - द्वीप सागर प्रज्ञप्ति की विषय वस्तु क्या है?

उत्तर - द्वीप सागर प्रज्ञप्ति में असंख्यात द्वीप समूहों के स्वरूप, उनमें स्थित ज्योतिषी देवव, व्यंतरों, भवनासी देवों के आवासों में विद्यमान अकृत्रिम जिनालयों का वर्णन रहता है।

प्रश्न 48 - द्वीप सागर प्रज्ञप्ति में पदों की संख्या कितनी है?

उत्तर - द्वीप सागर प्रज्ञप्ति में पदों की संख्या बावन लाख छत्तिस हजार है।

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प्रश्न 49 - व्याख्या प्रज्ञप्ति किन-किन बातों का वर्णन करती है?

उत्तर - व्याख्या प्रज्ञप्ति रूपी अरूपी जीवादि द्रव्यों का, भव्य अभव्य के भेदों का, उनके प्रमाण तथा लक्षणों का, सिद्ध और परम्परा सिद्धों का तथा अन्य वस्तुओं का वर्णन करती है।

प्रश्न 50 - व्याख्या प्रज्ञप्ति में पदों की संख्या बताइये।

उत्तर - व्याख्या प्रज्ञप्ति में चैरासी लाख छत्तिस हजार पद हैं।

प्रश्न 51 - सूत्र किसे कहते हैं?

उत्तर - जो मिथ्या दृष्टियों के दर्शन को सूचित करता है वह सूत्र है।

प्रश्न 52 - सूत्र में किन-किन बातों का वर्णन रहता है?

उत्तर - जीव अवंधक है, निर्गुण है, अभोक्ता है, स्व पर प्रकाशक नहीं है, पर प्रकाशक है, जीव अस्ति ही है, नास्ति ही है। इत्यादि मिथ्या दृष्टियों के पूर्व पक्ष को सूत्र कहता है।

प्रश्न 53 - सूत्र में पदों की संख्या कितनी है?

उत्तर - इसमें पदों की संख्या अठ्ठासी लाख है।

प्रश्न 54 - प्रथमानुयोग में किस बात कावर्णन है?

उत्तर - प्रथमानुयोग में 24 तीर्थंकर, 12 चक्रवर्ती, 9 बलभद्र, 9 नाराण, 9 प्रतिनारायण इन 63 शलाका केपुरूाों के चरित्र का वर्णन रहता है।

प्रश्न 55 - प्रथमानुयोग में कितने पद हैं?

उत्तर - प्रथमानुयोग में पांच हजार पद हैं।

प्रश्न 56 - चूलिका के कितन भेद हैं?

उत्तर - चूकिला के पांच भेद हैं।

प्रश्न 57 - चूलिका के पांच भेदों के नाम बताइये।

उत्तर - 1 - जलगता चूलिका
2 - स्थलगता चूलिका
3 - मायागता चूलिका
4 - आकाश गता चूलिका एवं
5 - रूपगता चूलिका।

प्रश्न 58 - चूलिकागता चूलिका में पदों की संख्या कितनी है?

उत्तर - चूलिका में पदों की संख्या दस करोड़ उन्नचास लाख छियालिस हजार है।

प्रश्न 59 - जलगता चूलिका क्या वर्णन करती है?

उत्तर - जलगता चूलिका जल का स्तम्भन, जल में गमन, अग्नि का स्तम्भन, अग्नि में प्रवेश आदि के कारण मंत्र तंत्र तपश्चरण, आदि का वर्णन करती है।

प्रश्न 60 - जलगता चूलिका के पदों की संख्या बताइये?

उत्तर - जलगता चूलिका में दो करोड़ सत्तानवे लाख नौ हजार दो सौ पांच पद हैं।

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