।। सिद्ध परमेष्ठी ।।

प्रश्न 21 - सिद्ध परमेष्ठी का क्या स्वरूप है?

उत्तर - जो आठों कर्मों का नाश हो जाने से नित्य निरंजन, अशरीरी हैं लोक के अग्र भाग पर विराजमान, वे सिद्ध परमेष्ठी कहलाते हैं इनके आठ मूल गुण होते हैं।

प्रश्न 22 - सिद्ध परमेष्ठी का स्वरूप बताने वाली पद्य बताइये।

उत्तर - पद्य इस प्रकार है-

समकित दरसन ज्ञान अगुरूलघु अवगाहना।
सूक्ष्म वीरजवान, निरावाध गुण सिद्ध के।।
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प्रश्न 23 - सिद्ध कौन से लोक से होते हैं?

उत्तर - सिद्ध क ेवल मध्य लोक से होते हैं।

प्रश्न 24 - मध्यलोक में सिद्ध कहां से होते हैं?

उत्तर - मध्य लोक में सिद्ध केवल ढाई द्वीप से होते हैं।

प्रश्न 25 - ढाई द्वीप से ही सिद्ध क्यों होते हैं।

उत्तर - क्योंकि ढाई द्वीपों तक ही मनुजलोक है। इसका विस्तार भी सिद्ध शिला के समान, 45 लाख योजन है, अतः ढाई द्वीप से ही सिद्ध होते हैं।

प्रश्न 26 - ढाई द्वीपों में सिद्ध कहां-कहां से होते हैं?

उत्तर - ढाई द्वीपों के प्रायः सभी स्थानों से सिद्ध होते हैं।

प्रश्न 27 - कौन से जीव सिद्ध हो सकते हैं?

उत्तर - जीवों में केवल मनुष्य ही सिद्ध हो सकते हैं।

प्रश्न 28 - जीवों में केवल मनुष्य ही सिद्ध बनने के अधिकारी क्यों?

उत्तर - क्योंकि केवल मनुष्य ही पूर्ण संयम धारण करके सम्पूर्ण कर्मों का नाश करके सिद्ध बन सकते हैं।

प्रश्न 29 - क्या सभी मनुष्य सिद्ध बन सकते हैं?

उत्तर - केवल आर्यखण्ड में जन्में आर्य मनुष्य सिद्ध बन सकते हैं।

प्रश्न 30 - कौन से काल में मनुष्य सिद्ध बन सकते हैं?

उत्तर - केवल कर्मकाल जो दुःखमा नाम का चतुर्थ काल होता है उसमें ही मनुष्य सिद्ध बन सकते हैं।

प्रश्न 31 - मनुष्य, पुरूष, नपुंसक स्त्री के भेद से तीन प्रकार के होते हैं क्योंकि तीनों प्रकार के मनुष्य सिद्ध बनते हैं?

उत्तर - द्रव्य वेद (लिंग) से केवल पुरूष मनुष्य ही सिद्ध बन सकते हैं। स्त्री नपुंसक मनुष्य नहीं।

प्रश्न 32 - भाव लिंग से कौन से मनुष्य सिद्ध बन सकते है?

उत्तर - भाव लिंग से स्त्रिी पुरूष नपुंसक तीनों वेद वाले मनुष्य सिद्ध बन सकते हैं।

प्रश्न 33 - भगवान आदिनाथ कौन-से काल में सिद्ध बने?

उत्तर - भगवान आदिनाथ तो तीसरे काल में जन्म लेकर तीसरे काल में ही सिद्ध हो गये थे।

प्रश्न 34 - क्या पंचम काल में भी मनुष्य सिद्ध बन सकते हैंत्र

उत्तर - पंचम काल में कोई भी मनुष्य सिद्ध नहीं बनते हैं, किंतु चतुर्थ काल में जन्म लेकर पंचम काल में मोक्ष जा सकते हैं।

प्रश्न 35 - कुछ उन स्थानों के नाम बताइये जहां से जीव मोक्ष जाते हैं।

उत्तर - जल, थल, आकाश, कंदरा, गुफा, पर्वत, नगर, तालाब आदि।

प्रश्न 36 - जल से जीव मोक्ष कैसे जा सकते हैं?

उत्तर - तप करते हुए मुनि को केाई पूर्व भव का शत्रू उठाकर यदि नदी, समुद्र तालाब आदि में डाल दे और वहां समस्त कर्मों की निर्जरा हो जाये तो वे जल से मोक्ष चले जाते हैं।

प्रश्न 37 - आकाश से जीव किस प्रकार सिद्ध होते हैं?

उत्तर - पूर्वोक्त विधि से तप करते हुए मुनि को कोई उठाकर ले जाये और ऊपर छोड़ दे यदि सम्पूर्ण कर्मों की निर्जरा हो जाये तो वे आकाश से ही मोक्ष चले जाते हैं।

प्रश्न 38 - ढाई द्वीप कौन से हैं?

उत्तर - जम्बूद्वीप, धातकी खंड तथा आधा पुष्करवर द्वीप इन्हें मिलाकर ढाई द्वीप कहे जाते हैं।

प्रश्न 39 - मनुष्य किस प्रकार से सिद्ध होते हैं?

उत्तर - कुछ मनुष्य उपसर्ग से सिद्ध होते हैं तथा कुछ मनुष्य बिना उपसर्ग के सिद्ध होते हैं।

प्रश्न 40 - गणुव्रत तथा महाव्रत धारण करने वालों में कौन -से मनुष्य सिद्ध होते हैं।

उत्तर - केवल महाव्रती ही सिद्ध होते हैं।

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प्रश्न 41 - ध्यानों में कौन से ध्यान को धारण करने वाले जीव सिद्ध होते हैं।

उत्तर - केवल शुक्ल ध्यान को धारण कर कर्म नष्ट करने वाले सिद्ध बनते हैं।

प्रश्न 42 - कौन से चरित्र को धारण करने वाले जीव सिद्ध होते हैं?

उत्तर - पंचम यथाख्यात नामक चारित्र को धारण करने वाले जीव सिद्ध बनते हैं।

प्रश्न 43 - कौन से गुण स्थानवर्ती जीव सिद्ध होते हैं?

उत्तर - तेरहवें चैदहवें गुणस्थानवर्ती जीव सिद्ध बनते हैं।

प्रश्न 44 - किन कर्मों को नष्ट करने पर सिद्ध बनते हैं?

उत्तर - समस्त कर्मांशों को नष्ट करने पर सिद्ध बनते हैं।

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