।। धर्म ।।

प्रश्न 24 - आरम्भी हिंसा किसे कहते हैं?

उत्तर - जो हिंसा घर के कार्यों, पंच सूना आदि से होती है वह आरम्भी हिंसा है।

प्रश्न 25 - पंच सूना क्या है?

उत्तर - चूला, चक्की, झाडू ओखली, एवं जलगालनादि, ये पांच कार्य हिंसा कारक होते हैं।

प्रश्न 26 - विरोधनी हिंसा किसे कहते हैं?

उत्तर - जो हिंसा किसी भी परस्पर विरोध के कारण होती है वह विरोधनी हिंसा कहलाती है, जैसे- आपस में मारपीट होना दो सेनाओं का लड़ना आदि।

प्रश्न 27 - संकल्पी हिंसा किसे कहते हैं?

उत्तर - जो हिंसा संकल्पपूर्वक (मैं इसे मारूंगा) ऐसे संकल्प पूर्वक की जाती है। वह संकल्पी हिंसा है।

प्रश्न 28 - उद्यमी हिंसा क्या है?

उत्तर - जो हिंसा कृषि, व्यापार आदि में होती है उद्यमी या उद्योगी हिंसा कहलाती है।

प्रश्न 29 - कौन सी हिंसा को सबसे अधिक खतरनाक माना गया है?

उत्तर - संकल्पी हिंसा को।

प्रश्न 30 - वे हिंसा कौन-कौन सी हैं जिनसे बचा नहीं जा सकता?

उत्तर - गृहस्थ केवल संकल्पी हिंसा से बच सकता है, आरम्भी, उद्योगी एवं विरोधनी हिंसा से बच नहीं सकता। अतः संकल्पपूर्वक किसी प्राणी की हिंसा नहीं करनी चाहिए।

प्रश्न 31 - धर्म कितने रूपों में पाया जाता है?

उत्तर - धर्म दो रूपों में पाया जाता है। महाव्रत रूप मुनि धर्म एवं अणुव्रत रूप श्रावक धर्म।

प्रश्न 32 - मुनिव्रत रूप धर्म किस प्रकार का है?

उत्तर - मुनिव्रत रूप धर्म अरिहंतादि पंच परमेष्ठियों के 143 मूलगुणों के रूप में मिलता है।

प्रश्न 33 - श्रावक किसे कहते हैं?

उत्तर - जिसमें श्रद्धा, विवेक एवं िक्रया ये तीन गुण पाये जायें वे श्रावक कहलाते हैं।

प्रश्न 34 - श्रावकों के उपरोक्त गुणों को क्या कहते हैं?

उत्तर - श्रावकों के उपरोक्त गुणों को सम्यग्दर्शन, सम्यग्दर्शन, सम्यग्ज्ञान तथा सम्यग्चारित्र भी कहते हैं।

प्रश्न 35 - श्रावकों की क्या पहिचान है?

उत्तर - जिस प्रकार मुनि की पहिचान पीछी और कंमडलु से होती है उसी प्रकार श्रावकों की पहिचान रत्नत्रय स्वरूप यज्ञोपवीत (जनेऊ) धारण करने से होती है।

प्रश्न 36 - यज्ञोपवीत धारण करने के लिए कौन-कौन से नियमों का पालन करना होता है?

उत्तर - यज्ञोपवीत धारण करने के लिए तीन नियमों का पालन करना होता है।

1 - छना हुआ पानी पीना।
2 - रात्रि में अन्न (भोजन) का त्याग करना।
3 - देव दर्शन करना।

प्रश्न 37 - श्रावकों के कितने भेद होते हैं?

उत्तर - श्रावकों के तीन भेद होते हैं।

1. पाक्षिक 2. नैष्ठिक एव 3. साधक।

प्रश्न 38 - पाक्षिक श्रावक किसे कहते हैं?

उत्तर - जिसे हिंसादिक पांचों पापों का त्याग रूप व्रत है जो अभ्यास रूप से श्रावक धर्म का पालन करता है, धर्म का पक्ष रखने से उसे पाक्षिक, प्रारब्ध या देश संयमी कहते हैं।

प्रश्न 39 - नैष्ठिक श्रावक किसे कहते हैं?

उत्तर - जो निरतिचार रूप प्रतिमारूप से श्रावक धर्म का पालन करता है वह घटमान, देशसंयमी या नैष्ठिक श्रावक है।

प्रश्न 40 - साधक कौन है?

उत्तर - जिसका देशसंयम पूर्ण हो चुका है, जो आत्मध्यान में लीन होकर समाधिमरण करता है उसको साधक या निष्पन्न देशसंयमी कहते हैं।

प्रश्न 41 - श्रावक के कितने और कौन-कौन से मूल गुण होते हैं?

उत्तर - श्रावक के आठ मूल गुण होते हैं। पांच उदम्बर फलों का त्याग करना तथा 3 मकारों का त्याग करना।

प्रश्न 42 - पांच उदम्बर फल कौन-2 से हैं?

उत्तर - 1. बड़फल 2. पीपल फल 3. पाकर फल 4. उमर फल एवं 5. कठूमर फल।

प्रश्न 43 - उदम्बर फल किसे कहते हैं तथा इनके खाने में क्य हानि है?

उत्तर - जिन फलों के अन्दर पेट में असंख्यात त्रस जीव होते हैं उन्हें उदम्बर फल कहते हैं। इन फलों के खाने से इनके अंदर रहने वाले असंख्यात त्रस जीवों का घात होता है।

प्रश्न 44 - तीन मकार कौन - कौन से हैं?

उत्तर - मद्य, मांस और मधु (शहद)।

प्रश्न 45 - मद्य किसे कहते हैं? इसके पीे से क्या हानि है?

उत्तर - मद्य शराब को कहते हैं यह फलों, रसों आदि को सड़ाकर बनाई जाती है। इसकी प्रत्येक बंूद में असंख्यात त्रस जीव रहते हैं इसके सेवन से उन जीवों का घात होता है तथा शराब शरीर और आत्मा दोनों का नाशा (बरबाद) करती है।

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