|| अरहंत ||

विदेह में विद्यमान 20 तीर्थंकार

पांच मेरू सम्बन्धी पांच विदेह क्षेत्र होते हैं। वहां हमेशा कर्मभूमि की रचना रहती है। काल परिवर्तन नहीं होता है। ये शाश्वत बीस तीर्थंकर इन विदेह की 32 नगरी में हमेशा रहते है। एक मेरू सम्बन्धी 4 तो पांच मेरू सम्बन्धी 20, ऐसे तीर्थंकर होते है। एक जीव के निर्वाण होने पर उसी समवशरण में दूसरे जीव तीर्थंकर बन कर विराजमान हो जाते हैं। समवशरण का अभाव नहीं होता है।

jain temple314

1.सीमधंर

2.युग्मंधर

3.बाहु

4.सुबाहु

5.संजाक

6.स्वयंप्रभु

7.ऋषभानन

8.अनंत वीर्य

9.सूरप्रभ

10.विशाल कीर्ति

11. वज्रधर

12.चन्द्रानन

13.भद्रबाहु

14.भुर्जगय

15. ईश्वर

16.नेमिप्रभ

17.वीरसेंण

18.महाभद्र

19.देवयशो

20.अजितवीप्येति

विदेह क्षेत्रस्य विधमान विशंति
तीर्थंकरेभ्यो नमो नमः।।
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